निकला था पथ पर अकेला , दुनिया मिलती गयी कारवाँ बढ़ता गया ~~~~~~~
आज की जीत आपके लिए जीत होगी परंतु मेरे लिए बदला है ।
बदला उन सत्ता के दलालों से जिन्होंने स्वयं शिक्षक होते हुए शिक्षक पद की गरिमा को नजरअंदाज किया और उसकी परिभाषा को ही बदल दिया , बदला है उन लोगों के त्याग , परिश्रम , नौकरी की भूख आदि चीज़ों का जो आज पिछले 4 साल की लड़ाई में खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं जिनमे से एक मैं भी हूँ ,
बदला उन सत्ता के दलालों से जिन्होंने स्वयं शिक्षक होते हुए शिक्षक पद की गरिमा को नजरअंदाज किया और उसकी परिभाषा को ही बदल दिया , बदला है उन लोगों के त्याग , परिश्रम , नौकरी की भूख आदि चीज़ों का जो आज पिछले 4 साल की लड़ाई में खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं जिनमे से एक मैं भी हूँ ,