बदायूं। शिक्षक अगर चाहें तो क्या नहीं हो सकता इसकी मिसाल अक्सर दी जाती रही है। ऐसा ही वाक्या बदायूं के गोठा गांव का है जहां एक सरकारी स्कूल के शिक्षकों ने गांव वालों की मदद से स्कूल को हाईटेक बना दिया।
शिक्षकों की इस मुहिम को सफल बनाने के लिए गांव वालों ने पंखे, कम्प्यूटर, एलईडी और जनरेटर दान दिए।
दूसरे प्राइवेट स्कूलों को दे रहा मात
मामला वजीरगंज ब्लॉक गोठा गांव में बने माध्यमिक विद्यालय का है जो हाइटेक होने के मामले में प्राइवेट स्कूल को मात दे रहा है। इस स्कूल में वो सभी सुविधाएं हैं जो किसी मॉडर्न स्कूल में होती है। गोठा के सरकारी स्कूल की इस मुहिम से जिले के दूसरे माध्यमिक स्कूल भी रोशन हो उठे जिनमें बिसौली ब्लॉक के हररायपुर, जगत ब्लॉक के आमगांव समेत कई मॉडर्न स्कूल शामिल है। इन सब स्कूलों की खास बात ये है कि इन स्कूल को हाईटेक बनाने में स्कूल के शिक्षकों का बहुत बड़ा हाथ है। इन्हीं शिक्षकों ने लोगों से मदद लेकर स्कूल में बच्चों के लिए फर्नीचर से लेकर हर कमरे में पंखे तक लगवाए हैं।
तीन साल की मेहनत के बाद खजाने की खोज में मिली कामयाबी
पढ़ाई के साथ मनोरंजन भी
इन स्कूलों में बच्चों को म्यूजिक से लेकर हरमोनियम और तबला बजाना भी सिखाया जाता है। ताकि बच्चें पढ़ाई के साथ साथ मनोरंजन भी कर सके। इसके अलावा स्कूल में साफ-सफाई देखते ही बनती है। स्कूल में जेनरेटर के साथ साथ 2 कम्प्यूटर भी लगे हैं।
शिक्षकों ने कुछ अलग करने की ठानी
इस बारे में स्कूल के शिक्षकों का कहना था कि तीन साल पहले ये स्कूल भी दूसरे स्कूलों जैसा ही थालेकिन बदहाल स्थिति को देखते हुए शिक्षकों ने कुछ नया करने की ठानी और गांव वालों से स्कूल को संवारने के लिए मदद मांगी। गांव वालों ने भी मदद करते हुए 7 पंखे दिए और कम्प्यूटर लैब के लिए टाइल्स दी। इसके बाद तो सभी ने मदद करना शुरु कर दिया और स्कूल को हाईटेक बना दिया।
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शिक्षकों की इस मुहिम को सफल बनाने के लिए गांव वालों ने पंखे, कम्प्यूटर, एलईडी और जनरेटर दान दिए।
दूसरे प्राइवेट स्कूलों को दे रहा मात
मामला वजीरगंज ब्लॉक गोठा गांव में बने माध्यमिक विद्यालय का है जो हाइटेक होने के मामले में प्राइवेट स्कूल को मात दे रहा है। इस स्कूल में वो सभी सुविधाएं हैं जो किसी मॉडर्न स्कूल में होती है। गोठा के सरकारी स्कूल की इस मुहिम से जिले के दूसरे माध्यमिक स्कूल भी रोशन हो उठे जिनमें बिसौली ब्लॉक के हररायपुर, जगत ब्लॉक के आमगांव समेत कई मॉडर्न स्कूल शामिल है। इन सब स्कूलों की खास बात ये है कि इन स्कूल को हाईटेक बनाने में स्कूल के शिक्षकों का बहुत बड़ा हाथ है। इन्हीं शिक्षकों ने लोगों से मदद लेकर स्कूल में बच्चों के लिए फर्नीचर से लेकर हर कमरे में पंखे तक लगवाए हैं।
तीन साल की मेहनत के बाद खजाने की खोज में मिली कामयाबी
पढ़ाई के साथ मनोरंजन भी
इन स्कूलों में बच्चों को म्यूजिक से लेकर हरमोनियम और तबला बजाना भी सिखाया जाता है। ताकि बच्चें पढ़ाई के साथ साथ मनोरंजन भी कर सके। इसके अलावा स्कूल में साफ-सफाई देखते ही बनती है। स्कूल में जेनरेटर के साथ साथ 2 कम्प्यूटर भी लगे हैं।
शिक्षकों ने कुछ अलग करने की ठानी
इस बारे में स्कूल के शिक्षकों का कहना था कि तीन साल पहले ये स्कूल भी दूसरे स्कूलों जैसा ही थालेकिन बदहाल स्थिति को देखते हुए शिक्षकों ने कुछ नया करने की ठानी और गांव वालों से स्कूल को संवारने के लिए मदद मांगी। गांव वालों ने भी मदद करते हुए 7 पंखे दिए और कम्प्यूटर लैब के लिए टाइल्स दी। इसके बाद तो सभी ने मदद करना शुरु कर दिया और स्कूल को हाईटेक बना दिया।
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