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शिक्षामित्रों की पीएम मोदी पर टिकी नजर , चिट्ठी में लिखा दर्द , बीजेपी को याद दिलाए वादे , ये है पूरा मामला

लखनऊ. उत्तर प्रदेश के 1.78 लाख शिक्षा मित्रों की मुसीबत कहीं से भी कम होती नहीं दिख रही है। जैसे- जैसे समय समय बीत रहा है शिक्षा मित्रों का धैर्य भी जवाब दे रहा है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा सहायक अध्यापक पद पर समायोजन रद्द होने के बाद सभी शिक्षा मित्रों ने काम का बहिष्कार कर दिया है। शिक्षा मित्रों को अब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ही आखिरी उम्मीद है, कि शायद वे उनकी समस्या का समाधान कर सकेंगे।

पीएम मोदी पर टिकी नजर
बीते दिनों यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से बातचीत में कोई नतीजा न निकलने के बाद से सभी शिक्षा मित्र अब आर-पार के मूड में आ गए हैं। सभी शिक्षा मित्रों की नजरें अब प्रधानमंत्री मोदी पर जा टिकी हैं। पीएम मोदी से मदद की अपील करते हुए शिक्षा मित्रों ने उन्हें एक पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। शिक्षा मित्र चाहते हैं कि पीएम मोदी खुद इस मामले का उचित हल निकालें और यूपी चुनाव के समय हमसे जो वादे किए गए थे उसे पूरा करें।

चिट्ठी में लिखा दर्द
शिक्षा मित्रों ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में अपनी समस्या गिनाते हुए कहा है कि 25 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया है, उससे यूपी के प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापक पद पर समायोजित सभी शिक्षा मित्र बेरोजगार हो गए हैं। Sarkari Naukri जाने से हमारे परिवार के सामने रोजी- रोटी का संकट पैदा हो गया है। इस फैसले का हम पर इतता बुरा असर हुआ है कि कई शिक्षा मित्रों की हार्ट अटैक से मौत हो गई है। पत्र में लिखा है कि पूरे प्रदेश के शिक्षा मित्र अपने हक के लिए यूपी से लेकर दिल्ली तक विरोध- प्रदर्शन कर चुके हैं। सीएम योगी से लेकर प्रकाश जावड़ेकर तक से मिलने के बाद भी हमारी समस्या का कोई हल अभी तक नहीं निकल पाया है। हम सभी 17 सालों से स्कूल के बच्चे को पूरी लगन से पढ़ा रहे हैं। उन्हें एक झटके में निकालना ठीक बात नहीं है। हमारी इस हालत को देखते हुए जल्द ही कोई उचित कदम उठाए जाएं। जिससे हमारा भविष्य सुरक्षित हो सके।

बीजेपी को याद दिलाए वादे
शिक्षा मित्रों ने अपनी चिट्ठी में पीएम मोदी को उनका वादा याद दिलाते हुए लिखा है कि आपने वाराणसी में अपने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि प्रदेश के सभी शिक्षा मित्रों की जिम्मेदारी अब मेरी है। आपने कहा था कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार आते ही अध्यादेश में संसोधन करके सभी शिक्षा मित्रों का समायोजन किया जाएगा। चुनाव के दौरान यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी हमसे यही वादा किया था। अपने घोषणा पत्र में भी बीजेपी ने वादा किया था कि हमारी समस्या का हल निकाला जाएगा। आपसे अनुरोध है कि हमारी समस्या को हल करते हुए हमसे जो वादा किया गया था उसे निभाया जाए।

ये है पूरा मामला

दरअसल 25 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के सभी शिक्षा मित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि प्रदेश के सभी शिक्षा मित्रों को 2 साल में TET पास करना होगा। इसके लिए उन्हें दो साल में दो मौके मिलेंगे। आपको बता दें कि यूपी में 22 हजार शिक्षामित्र ऐसे हैं, जो TET पास हैं। कोर्ट का यह फैसला इन पर भी लागू किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में अनुभव के आधार पर शिक्षामित्रों देने और उम्र के नियमों में भी छूट देने की बात कही है। वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद योगी सरकार ने कैबिनेट मीटिंग कर शिक्षा मित्रों को मानदेय 10 हजार रूपए तय कर दिया। लेकिन इसके बाद भी शिक्षामित्र अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। शिक्षा मित्रों की मांग है कि केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार कानून में संशोधन करे और उन्हें समायोजित करे। जब तक सरकार उनकी ये मांगें नहीं मानेगी, वह ऐसे ही सड़कों पर प्रदर्शन करते रहेंगे।

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