Breaking Posts

Top Post Ad

अाखिर ऐसा भेदभाव क्यों ? आज शिक्षामित्र न्याय की आस में दर-दर भटक रहे हैं

मैं इस मंच के माध्यम से भारत केसमस्त नागरिकों को बताना चाहता हूं कि उत्तर प्रदेश के 172000 शिक्षामित्र वे युवा व युवती थे जो शिक्षा मित्र चयन वर्ष 1999 से शुरू हुआ के दौरान अपनी ग्राम पंचायत के सबसे ज्यादा हाई मेरिट के योग्य युवक युवतियां थे

उस समय शिक्षा मित्र चयन के लिए अधिकतम योग्यता सरकार ने इंटर पास रखी थी परंतु जब वर्ष 2014 में अखिलेश सरकार ने शिक्षामित्रों का समायोजन किया उन्होंने उन 137000 शिक्षामित्रों का ही समायोजन किया था जिन्होंने स्नातक होने के साथ-साथ BTC की परीक्षा पास कर ली थी आज भी 137000 शिक्षामित्र 17 साल का अनुभव स्नातक और BTC है परंतु एक शिक्षक की सभी योग्यताएं रखने के बावजूद नहीं शिक्षामित्रों को अयोग्य कहा जाता है जो 32000 शिक्षामित्र बचे थे उनमें से 12000 इंटर के बाकी20000 स्नातक BTC और कई वर्षो का अनुभव होने के साथ केवल इसलिए समायोजित नहीं हो पाए थे के कई जनपदों में शिक्षक के लिए सीट उपलब्ध नहीं थी 172000 शिक्षामित्र मेथी 40000 शिक्षामित्रों ऐसे हैं जिन्होंने शिक्षक पात्रता परीक्षा भी पास कर रखी है उसके बावजूद भी शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक की नियुक्ति से अलग हटाया गया अखिर जो व्यक्ति 17 साल की उन्हीं बच्चों को ₹35000 के अल्प मानदेय पर पढ़ाता है तब पूरा समाज उसकी तारीफ करता है और कहता है कि शिक्षामित्रों की वजह से ही शिक्षा में सुधार आया जिसको स्वयं मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी ने भी स्वीकारा है और अपने मुख से कहा भी हैपरंतु जब उनको अखिलेश सरकार समायोजित करके सहायक अध्यापक पद पर सम्मान देते हुए 40000 वेतन करती है तब वह व्यक्ति सबकी नजर में अयोग्य हो जाते हैं क्यों अाखिर ऐसा भेदभाव क्यों ? आज शिक्षामित्र न्याय की आस में दर-दर भटक रहे हैं मेरा इस भारतीय समाज से निवेदन है कि हम शिक्षामित्रों को न्याय दिलाया जाए
sponsored links:

No comments:

Post a Comment

Facebook