सहायक शिक्षक के 68 हजार 500 पदों पर भर्ती मामले में नित्य नई-नई
गड़बड़ियां सामने आ रही हैं लेकिन अब तक इन भ्रष्टाचारों के लिए भी किसी भी
दोषी अधिकारी को दंडित न करने पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने और भी सख्त रुख
अपनाते हुए, पूरे मामले को मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाने के आदेश दिए
हैं।
यह आदेश न्यायमूर्ति इरशाद अली की एकल सदस्यीय पीठ ने अन्य पिछड़ा वर्ग
की अभ्यर्थी कुमारी छाया देवी की याचिका पर दिए। याचिका में कहा गया था कि
ओबीसी वर्ग के लिए इस परीक्षा में क्वालिफाइंग मार्क्स 67 था जबकि याची को
64 मार्क्स ही मिल सके। याची ने उत्तर पुस्तिका की स्कैन कॉपी प्राप्त कर
के जब मिलान किया तो पाया कि उसके चार जवाबों का मूल्यांकन गलत क्या गया
है। न्यायालय ने कहा कि इस भर्ती परीक्षा में हुई गड़बड़ियों के लिए एक जांच
कमेटी भी बनाई गई है लेकिन हम यह नहीं समझ पा रहे कि जांच कमेटी को ये
तथ्य (याचिका में उल्लेखित) क्यों नहीं मिल रहे। यदि याची का दावा सही है
तो उसके साथ बहुत बड़ा अन्याय हुआ है। न्यायालय ने कहा कि ये जितने भी मामले
हमारे सामने आ रहे हैं, इनमें देखा गया है कि बेसिक शिक्षा विभाग के
अधिकारी कानून सम्मत कार्य नहीं कर रहे। बावजूद इसके राज्य सरकार दोषी
अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती।
न्यायालय अपने इस आदेश को मुख्य सचिव को भेजने का निर्देश देते हुए,
मुख्य सचिव को आदेश दिया कि वह सहायक शिक्षक भर्ती मामले में हुए
भ्रष्टाचार से मुख्यमंत्री को तीन दिन में अवगत कराएं। न्यायालय ने मामले
की अग्रिम सुनवाई इस विषय पर विचाराधीन अन्य याचिकाओं के साथ 8 अक्टूबर को
किए जाने के निर्देश दिए। उल्लेखनीय है कि अभ्यर्थियों की कॉपियां बदलने के
मामले पर हाईकोर्ट ने पहले ही सख्त रुख अख्तियार किया हुआ है और भर्तियों
को अपने अंतिम आदेश के आधीन किया हुआ है।