सरकारी भर्ती परीक्षा अब अपने गृह मंडल से बाहर देनी होगी..!


लखनऊ। प्रदेश में सरकारी नौकरियों के लिए होने वाली भर्ती परीक्षाओं में अब अभ्यर्थियों को दूसरे मंडलों में जाकर परीक्षा देनी पड़ सकती है। भर्ती परीक्षाओं में धांधली रोकने को अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष सीबी पालीवाल की अध्यक्षता में कमेटी की बैठक हुई।
कोचिंग संचालकों का सिंडिकेट तोड़ने, अभ्यर्थियों का आवंटन रैंडम के आधार पर करने, छोटी परीक्षाएं ऑनलाइन कराने और केंद्र निर्धारण का मानक नए सिरे से तय करने पर मंथन हुआ। सीबी पालीवाल अब इसका ड्राफ्ट तैयार कर सदस्यों से फिर राय लेने के बाद मुख्य सचिव डा. अनूप चंद्र पांडेय को सौंपेंगे।


परीक्षा केंद्र का मानक तय हो-
भर्ती परीक्षा के लिए मानक तय किया जाए। इसमें सरकारी व एडेड स्कूलों को केंद्र बनाने की पहली प्राथमिकता दी जाए। इसके बाद निजी स्कूलों को केंद्र बनाया जाए। प्रमुख शहर, जिला मुख्यालय व तहसील से इतर केंद्र न बनाए जाएं। केंद्र बनाते समय मूलभूत सुविधाओं का ध्यान जरूर रखा जाए। परीक्षा केंद्र में उसी स्कूल के शिक्षकों को ही निरीक्षक की ड्यूटी में लगाएं। बाहरी शिक्षकों को लगाने से बचा जाए। परीक्षा केंद्र बनाने से पहले प्रदेशभर के स्कूलों की सूची तैयार की जाए और सभी आयोग व बोर्ड एक-दूसरे से साझा करें, जिससे गड़बड़ी कराने वालों को बाहर किया जा सके।.

यह भी सुझाव आया कि पेपर छपाई प्रदेश से बाहर प्रिंटिंग प्रेस से कराई जाए। आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने वालों को ही काम दिया जाए। पेपर छपाई की 24 घंटे रिकार्डिंग कराई जाए। इसको सालभर रखा जाए। ब्लैक लिस्टेड प्रिंटिंग प्रेस वालों को इससे दूर रखा जाए।.

अधिकतर आयोग व बोर्ड ने पेपर बनाने व मूल्यांकन करने वाले विशेषज्ञों का मानदेय बढ़ाने का सुझाव दिया है। साथ ही डिजिटल प्रणाली अपनाने का भी सुझाव दिया गया।.

मुख्य सचिव ने सरकारी नौकरियों के लिए होने वाली भर्ती परीक्षाओं में धांधली रोकने के लिए उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष सीबी पालीवाल की अध्यक्षता में कमेटी बनाई है। इसमें सभी भर्ती बोर्ड व आयोग के सचिवों को रखा गया है। कमेटी की पहली बैठक गुरुवार को लखनऊ में हुई। इसमें अधिक जोर कोचिंग संचालकों का सिंडिकेट तोड़ने पर रहा। सुझाव आया कि भर्ती परीक्षाओं के लिए आवेदन करने वालों को उनके गृह मंडल से दूसरे मंडलों में परीक्षा की अनुमति दी जाए। इसके साथ ही आवेदकों को जिले का आवंटन रेंडम आधार पर किया जाए, जिससे कोचिंग वाले अपने सेंटर के सभी छात्रों को एक साथ परीक्षा न दिला सकें। तर्क दिया गया कि कोचिंग वाले कुछ टॉपर छात्रों के साथ सामान्य छात्रों को बैठाने का खेल कर उन्हें पास कराने का करते हैं।.