लखनऊ : हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सहायक शिक्षक के 68,500
पदों पर भर्ती मामले में नई गड़बड़ियां सामने आने के बाद सख्त रुख अपनाते
हुए पूरे मामले को मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाने के आदेश दिए हैं। कोर्ट
ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई न होने पर ऐतराज जताया है।
कोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी को आदेश दिया है कि तीन दिन के भीतर मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ को पूरे मामले से अवगत करवाया जाए ताकि मामले में उचित
कार्रवाई की जा सके।
यह आदेश जस्टिस इरशाद अली की बेंच ने अभ्यर्थी कुमारी छाया
देवी की याचिका पर दिए। छाया देवी का कहना है कि वह ओबीसी वर्ग की अभ्यर्थी
हैं। इस वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए परीक्षा में क्वालिफाइंग बनाई गई है,
लेकिन हम समझ नहीं पा रहे कि जांच कमिटी को ये तथ्य (याचिका में उल्लेखित)
क्यों नहीं मिल रहे/ यदि याची का दावा सही है तो उसके साथ बहुत बड़ा अन्याय
हुआ है। जितने भी मामले हमारे सामने आ रहे हैं, इनमें देखा गया है कि बेसिक
शिक्षा विभाग के अधिकारी कानून सम्मत कार्य नहीं कर रहे। बावजूद इसके
राज्य सरकार दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही।
कोर्ट ने अपने इस आदेश को मुख्य सचिव को भेजने का निर्देश
देते हुए मुख्य सचिव को आदेश दिया कि वह सहायक शिक्षक भर्ती मामले में हुए
भ्रष्टाचार से मुख्यमंत्री को तीन दिन में अवगत करवाएं। मामले की अगली
सुनवाई 8 अक्टूबर को होगी।
मार्क्स 67 थे पर उसे 64 मार्क्स ही मिले। छाया ने उत्तर
पुस्तिका की स्कैन कॉपी प्राप्त कर मिलान किया तो पाया कि उसके चार जवाबों
का मूल्यांकन गलत किया गया है। कोर्ट ने कहा कि इस भर्ती परीक्षा में हुई
गड़बड़ियों के लिए जांच कमिटी भी
शिक्षा विभाग के अधिकारी कानून सम्मत कार्य नहीं कर रहे। बावजूद इसके राज्य सरकार दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही।
शिक्षा विभाग के अधिकारी कानून सम्मत कार्य नहीं कर रहे। बावजूद इसके राज्य सरकार दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही।