शिक्षक भर्ती में गड़बड़ी पर रजिस्ट्रार व डिप्टी रजिस्ट्रार नपे, सीएम को सौंपी जांच रिपोर्ट

लखनऊ (जेएनएन)। परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 68500 शिक्षकों की भर्ती परीक्षा में गड़बडिय़ों की जांच के लिए प्रमुख सचिव चीनी एवं गन्ना विकास संजय आर. भूसरेड्डी की अध्यक्षता में गठित समिति ने हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी है।
रिपोर्ट के आधार पर मुख्यमंत्री ने पर्यवेक्षण कार्य में लापरवाही बरतने पर परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय, इलाहाबाद के तत्कालीन रजिस्ट्रार जीवेंद्र सिंह ऐरी और मौजूदा डिप्टी रजिस्ट्रार प्रेमचंद कुशवाहा को निलंबित करने का निर्देश दिया है। वहीं उन्होंने परीक्षा के पर्यवेक्षण में ढिलाई बरतने पर राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के सात अफसरों के खिलाफ अनुशासनिक जांंच का निर्देश दिया है।
निश्शुल्क पुनर्मूल्यांकन कराने का मौका
अभ्यर्थियों की उत्तरपुस्तिकाओं की स्क्रूटनी में नंबर जोडऩे में गलतियां करने वाले परीक्षकों के खिलाफ भी दंडात्मक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। वहीं मुख्यमंत्री ने एक बड़ा फैसला लेते हुए सभी इच्छुक अभ्यर्थियों को अपनी उत्तरपुस्तिकाओं का निश्शुल्क पुनर्मूल्यांकन कराने का मौका दिया है। शिक्षक भर्ती में आए दिन नई गड़बडिय़ां सामने आने और इसके लिए दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई न होने से नाराज हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सरकार की कार्यशैली पर तीखी टिप्पणी की थी। कोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश दिया था कि वह तीन दिन में पूरे प्रकरण से मुख्यमंत्री को अवगत कराएं ताकि इस मामले में उचित कार्रवाई की जा सके। हाईकोर्ट के सख्त रुख के बाद प्रमुख सचिव चीनी एवं गन्ना विकास की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा डॉ.प्रभात कुमार को सौंपी। अपर मुख्य सचिव ने शुक्रवार सुबह जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपी। इस मामले को लेकर शुक्रवार को दिन भर मुख्यमंत्री कार्यालय और बेसिक शिक्षा विभाग में हलचल रही। मुख्यमंत्री ने बेसिक शिक्षा विभाग के आला अफसरों के साथ बैठक की। रिपोर्र्ट के आधार पर मुख्यमंत्री ने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया है।

343 मामलों में नंबरिंग में पाई गईं गलतियां
लिखित परीक्षा में शामिल हुए सभी 1,07,825 अभ्यर्थियों की उत्तरपुस्तिकाओं की स्क्रूटनी कराई गई थी। इनमें से 343 अभ्यर्थियों की उत्तरपुस्तिकाओं में नंबर जोडऩे में गलतियां पाई गईं। मुख्यमंत्री ने इन उत्तरपुस्तिकाओं को जांचने वाले परीक्षकों को कारण बताओ नोटिस देकर उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।

परीक्षा कराने वाली एजेंसी ब्लैकलिस्ट
परीक्षा कराने के लिए परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने मैनेजमेंट कंट्रोल सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड नामक जिस निजी एजेंसी की सेवाएं ली थीं, मुख्यमंत्री ने उसे भी ब्लैकलिस्ट करने का निर्देश दिया है। इस एजेंसी का पता 29, विधानसभा मार्ग, लखनऊ है। मुख्यमंत्री ने अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा डॉ.प्रभात कुमार को सभी विभागों को यह सूचना देने का निर्देश दिया है कि वे इस एजेंसी से कोई काम न लें। यदि किसी विभाग को इस एजेंसी को कोई भुगतान करना बाकी है तो वह न करे। परीक्षा कार्य को लेकर यदि भविष्य में एजेंसी के खिलाफ कोई अनियमितता उजागर होती है तो सरकार उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई कर सकती है।
53 उत्तीर्ण अभ्यर्थी स्क्रूटनी में पाए गए फेल
डॉ.प्रभात कुमार ने बताया कि स्क्रूटनी में 51 अभ्यर्थी ऐसे पाए गए जो पहले अनुत्तीर्ण थे लेकिन, नंबरों के मिलान के बाद अब उत्तीर्ण हो रहे हैं। यह कुल अभ्यर्थियों की संख्या का 0.04 प्रतिशत है। ऐसे अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग कराकर उन्हें नियुक्ति पत्र दे दिए जाएंगे। वहीं 53 अभ्यर्थी ऐसे हैं जो उत्तीर्ण घोषित होने पर नियुक्ति पत्र पा चुके हैं लेकिन, स्क्रूटनी के आधार पर वे फेल हो रहे हैं। ऐसे अभ्यर्थियों की कॉपियों का पुनर्मूल्यांकन कराया जाएगा। यदि पुनर्मूल्यांकन में भी वे अनुत्तीर्ण होते हैं, तो उन्हें नौकरी से बेदखल किया जाएगा।

158 मामलों में पुनर्मूल्यांकन का निर्णय
जांच समिति को परीक्षा से संबंधित कुल 285 शिकायतें मिली थीं। इनमें से 17 शिकायतों का परीक्षा की गड़बडिय़ों से सीधा मतलब नहीं था। 110 मामलों में शिकायतें निराधार पायी गईं। शेष 158 मामलों में शासन ने अभ्यर्थियों की उत्तरपुस्तिकाओं का पूनर्मूल्यांकन कराने का निर्णय किया है।

पुनर्मूल्यांकन के लिए 11 से 20 तक ऑनलाइन आवेदन

डॉ.प्रभात कुमार ने बताया कि जो अभ्यर्थी अपनी उत्तरपुस्तिकाओं का पुनर्मूल्यांकन कराना चाहते हैं, उन्हें इसके लिए 11 से 20 अक्टूबर तक ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इसके लिए अखबारों में सूचना प्रकाशित की जाएगी। अभ्यर्थी सिर्फ अपनी उत्तरपुस्तिका के पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन कर सकेंगे। जिन मामलों में पुनर्मूल्यांकन के नतीजे और मौजूदा परिणाम में अंतर आएगा, उन प्रकरणों में नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।