आने वाला 1 जुलाई बेसिक शिक्षा में एक अपवाद स्वरूप जाना जाएगा जब अधिकारियों की अदूरदर्शिता के चलते लगभग 6 लाख शिक्षक पूरे प्रदेश में एक स्थान से दूसरे स्थान स्कूल जाने के लिए निकलेगा और ईश्वर न करे कि कोई घटना घटे लेकिन यदि जरा सी भी असावधानी के चलते किसी संक्रमित के संपर्क में आए गए तो उन 6 लाख लोगों के लिए क्या व्यवस्था सरकार द्वारा की जाएगी और उनपर आश्रित लगभग 30 लाख लोगों को जोकि उनके परिवार के है उनकी सुरक्षा की गारंटी कौन देगा ।
ये एक तुगलकी फरमान है जिसका सीधा सा अर्थ है कि हमे आप जबरदस्ती भेज दे बस और हम एक प्रयोगशाला की तरह काम करे ।
कुछ महत्वपूर्ण बिंदुवार इसे इस तरीके से समझे
*1:- विद्यालय के अधूरे काम पिछले जून के दूसरे सपताह से अब तक लगातार शिक्षकों द्वारा किये जा रहे है आवश्यकतानुसार विद्यालय भी खोले जा रहे है*
*2:- शासन के दिये हुए निर्देशो को सभी प्राथमिकता पर पालन किया जा रहा है जैसे मध्यान्ह भोजन,कायाकल्प,मानव संम्पदा,ऑनलाइन शिक्षण,दीक्षा ,शारदा योजना इत्यादि रोज आने वाले नए नए आदेश पौधरोपण,रोड सुरक्षा आदि आदि*
*सवाल*
*अब तक पूर्ण न हो पाने वाले कार्य क्या विद्यालय में बैठने मात्र से ही पूर्ण होंगे जबकि उसे नियमित कर देने मात्र से ही प्रत्येक दिन संक्रमण का खतरा बढ़ता जाएगा*
*जिस मोबिलाइजेशन को रोकने के लिए लॉक डाउन किये गए थे क्या वो एकाएक धराशायी न हो जाएंगे*
*ऐसा कौन सा कार्य है जिसे शिक्षक करना न चाहता हो या उसने किया न हो जिसके लिए उसे स्कूल खोलने के लिए बाध्य किया जा रहा है जोकि मास मोबिलाइजेशन होने का और संक्रमण फैलने का सबसे बड़ा कारण हो सकता है। ये सब जानते हुए भी ऐसा निर्णय क्या हम शिक्षकों को प्रयोगशाला के तौर पर उपयोग नही किया जा रहा है*
*क्या शिक्षकों के लिए सुरक्षा उपकरणों की व्यवस्था की गई है*
*क्या शिक्षकों के लिए सुदूर क्षेत्रो में जाने के लिए वाहनों की व्यवस्था की गई है*
*क्या अनहोनी की घटना के मद्देनजर इतने बेड व कोरेन्टीन सेंटरों की व्यवस्था कर ली गयी है*
*महिला शिक्षको के लिए जोकि वैन,जीप,पूलकार,बस आदि से सफर करती है उनके सुरक्षा के क्या उपाय किये गए है*
*शिक्षण कार्य यदि स्थगित है तो क्या शासन के फरमानों को पूरा करने के लिए स्कूल खोलना और उसे बाध्यकारी बनाना कहा तक उचित है*