लखनऊ. यूपी के प्राइमरी स्कूलों में 69 हजार शिक्षक भर्ती
(69000 Assistant Teachers Recruitment) मामले में सरकार के कथित तौर पर
आरक्षण नियमों का उल्लंघन करने पर पिछड़ा वर्ग आयोग की दखल से भर्ती
प्रक्रिया में नई बहस छिड़ गई है. आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने असंतोष
जताते हुए सरकार पर आरक्षण नियमों का पालन न करने का आरोप लगाया है. इसके
साथ ही आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस रिजर्व्ड कैंडीडेंट (MRC) का मामला भी
गरमा गया है.
आरोप है कि सरकार की ओर से 69 हजार पदों में से 52614 रैंक तक जनरल कैटिगरी के अभ्यर्थी का चयन किया है. इसके बाद के पदों पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को सीटें दी गई हैं.
बताते चलें कि पूरे मामले को लेकर 7 जुलाई को पिछड़ा वर्ग आयोग में सुनवाई है. ऐसे में न्यूज़ 18 ने पूरे मामले में बढ़ रही बहस को लेकर जानकारों से बात करते हुए, असल आपत्ति पर चर्चा की.
आरक्षण नियमों को समझना है ज़रूरी
जानकारों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंच ने, इंद्रा साहनी केस में यह स्पष्ट रूप से परिभाषित किया हैं कि जो आरक्षित वर्ग का अभ्यर्थी जनरल कटऑफ के बराबर या अधिक अंक लाता है, उसका चयन आरक्षण के तहत चयन नहीं माना जाएगा. या कहें कि रिज़र्वेशन कम्युनल रिजर्वेशन नहीं है. जैसे किसी सरकारी भर्ती मे कुल 50% आरक्षण देना है और भर्ती मे कुल पदों की संख्या 200 हैं. अब इस भर्ती में, सरकार द्वारा 100 आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का चयन कर लिया गया. तो क्या इसे यह माना जा सकेगा कि क्या सरकार ने 50% आरक्षण दे दिया? तो जवाब यह है कि इसे आरक्षण के नियमों के तहत भर्ती नहीं माना जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट कहता है कि केवल OBC/SC/ST कम्युनिटी (आरक्षित वर्ग) को सीट देना, आरक्षण देना नहीं कहलाएगा. आरक्षण देना तभी होगा, जब उन OBC/SC/ST कम्युनिटी के अभ्यर्थियों को सीट देंगे, जिनका कटऑफ, जनरल वर्ग के कटऑफ से कम होगा. अगर आप उन OBC/SC/ST कम्युनिटी के अभ्यर्थी को सीट देते हैं, जिनके नंबर जनरल कटऑफ से अधिक हैं, तो वह चयन जनरल अभ्यर्थियों का चयन माना जाएगा क्योंकि रिजर्वेशन कम्युनल रिजर्वेशन नहीं है. ऐसे में सरकार को 50% रिजर्वेशन देना तभी होगा, जब OBC/SC/ST कम्युनिटी के 100 ऐसे अभ्यर्थियों का चयन करें, जिनके मार्क्स जनरल कटऑफ से कम है.
अभ्यर्थियों की यह है शिकायत
आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का कहना है कि 69000 शिक्षक भर्ती में सरकार ने आरक्षण नियमों का उल्लंघन किया है. सरकार ने 52614 रैंक तक, जनरल के अभ्यर्थी- धीरज सिंह का चयन किया है, अतः इस रैंक के ऊपर समस्त अभ्यर्थी जनरल अभ्यर्थी है व इसके बाद रैंक वाले अभ्यर्थी ही आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी माने जाएंगे. कुल 69000 पदों मे, 52614 जनरल अभ्यर्थी हैं. ऐसे में आरक्षित वर्ग के कुल 16386 का चयन हुआ है. जो आरक्षण का महज 23.75% है. भर्ती प्रक्रिया में 50 फीसदी आरक्षण मिलना था, लेकिन नियमों की अनदेखी आरक्षित वर्ग को 18 हजार सीट का नुकसान हुआ है.
MRC के मुद्दे की बागड़ोर अब मुख्य याचिकाकर्ता लोहा सिंह पटेल के हाथ
मुख्य याचिकाकर्ता लोहा सिंह की मानें तो उनके द्वारा बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी पर बड़े आरोप लगाते हुए कहा गया कि अधिकारयों ने आरक्षण नियमावली के साथ छेड़छाड़ की है. बार-बार नए-नए पैंतरों से योगी सरकार को आरक्षण के प्रति गुमराह किया है. इसी का नतीजा है कि 69,000 शिक्षक भर्ती में ग़लत नियमावली लगाकर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के अधिकारों को बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने अपनी कारगुजारियों को छुपाने के लिए , अभ्यर्थियों के अधिकारों को छलने का कार्य किया है. लोहा सिंह पटेल ने बेसिक शिक्षा विभाग से वर्गवार कट ऑफ व आरक्षण नियमावली में किन नियमों के तहत आरक्षण दिया गया? उसको भी सार्वजनिक करने की मांग की है.
मेरिटोरियस रिजर्व्ड कैंडीडेंट को भी समझिए
MRC का पूरा नाम मेरिटोरियस रिजर्व्ड कैंडीडेंट (Meritorious Reserved Candidates) है. यह कोर्ट का कोई नियम या कोई कानूनी शब्द नही हैं. यह मात्र एक आम बोल चाल का शब्द है, जो आरक्षित वर्ग के प्रतिभाशाली अभ्यर्थियों के समूह को प्रदर्शित करता है. यह जनरल कटऑफ गुणांक से अधिक है.
आरोप है कि सरकार की ओर से 69 हजार पदों में से 52614 रैंक तक जनरल कैटिगरी के अभ्यर्थी का चयन किया है. इसके बाद के पदों पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को सीटें दी गई हैं.
बताते चलें कि पूरे मामले को लेकर 7 जुलाई को पिछड़ा वर्ग आयोग में सुनवाई है. ऐसे में न्यूज़ 18 ने पूरे मामले में बढ़ रही बहस को लेकर जानकारों से बात करते हुए, असल आपत्ति पर चर्चा की.
आरक्षण नियमों को समझना है ज़रूरी
जानकारों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंच ने, इंद्रा साहनी केस में यह स्पष्ट रूप से परिभाषित किया हैं कि जो आरक्षित वर्ग का अभ्यर्थी जनरल कटऑफ के बराबर या अधिक अंक लाता है, उसका चयन आरक्षण के तहत चयन नहीं माना जाएगा. या कहें कि रिज़र्वेशन कम्युनल रिजर्वेशन नहीं है. जैसे किसी सरकारी भर्ती मे कुल 50% आरक्षण देना है और भर्ती मे कुल पदों की संख्या 200 हैं. अब इस भर्ती में, सरकार द्वारा 100 आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का चयन कर लिया गया. तो क्या इसे यह माना जा सकेगा कि क्या सरकार ने 50% आरक्षण दे दिया? तो जवाब यह है कि इसे आरक्षण के नियमों के तहत भर्ती नहीं माना जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट कहता है कि केवल OBC/SC/ST कम्युनिटी (आरक्षित वर्ग) को सीट देना, आरक्षण देना नहीं कहलाएगा. आरक्षण देना तभी होगा, जब उन OBC/SC/ST कम्युनिटी के अभ्यर्थियों को सीट देंगे, जिनका कटऑफ, जनरल वर्ग के कटऑफ से कम होगा. अगर आप उन OBC/SC/ST कम्युनिटी के अभ्यर्थी को सीट देते हैं, जिनके नंबर जनरल कटऑफ से अधिक हैं, तो वह चयन जनरल अभ्यर्थियों का चयन माना जाएगा क्योंकि रिजर्वेशन कम्युनल रिजर्वेशन नहीं है. ऐसे में सरकार को 50% रिजर्वेशन देना तभी होगा, जब OBC/SC/ST कम्युनिटी के 100 ऐसे अभ्यर्थियों का चयन करें, जिनके मार्क्स जनरल कटऑफ से कम है.
अभ्यर्थियों की यह है शिकायत
आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का कहना है कि 69000 शिक्षक भर्ती में सरकार ने आरक्षण नियमों का उल्लंघन किया है. सरकार ने 52614 रैंक तक, जनरल के अभ्यर्थी- धीरज सिंह का चयन किया है, अतः इस रैंक के ऊपर समस्त अभ्यर्थी जनरल अभ्यर्थी है व इसके बाद रैंक वाले अभ्यर्थी ही आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी माने जाएंगे. कुल 69000 पदों मे, 52614 जनरल अभ्यर्थी हैं. ऐसे में आरक्षित वर्ग के कुल 16386 का चयन हुआ है. जो आरक्षण का महज 23.75% है. भर्ती प्रक्रिया में 50 फीसदी आरक्षण मिलना था, लेकिन नियमों की अनदेखी आरक्षित वर्ग को 18 हजार सीट का नुकसान हुआ है.
MRC के मुद्दे की बागड़ोर अब मुख्य याचिकाकर्ता लोहा सिंह पटेल के हाथ
मुख्य याचिकाकर्ता लोहा सिंह की मानें तो उनके द्वारा बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी पर बड़े आरोप लगाते हुए कहा गया कि अधिकारयों ने आरक्षण नियमावली के साथ छेड़छाड़ की है. बार-बार नए-नए पैंतरों से योगी सरकार को आरक्षण के प्रति गुमराह किया है. इसी का नतीजा है कि 69,000 शिक्षक भर्ती में ग़लत नियमावली लगाकर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के अधिकारों को बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने अपनी कारगुजारियों को छुपाने के लिए , अभ्यर्थियों के अधिकारों को छलने का कार्य किया है. लोहा सिंह पटेल ने बेसिक शिक्षा विभाग से वर्गवार कट ऑफ व आरक्षण नियमावली में किन नियमों के तहत आरक्षण दिया गया? उसको भी सार्वजनिक करने की मांग की है.
मेरिटोरियस रिजर्व्ड कैंडीडेंट को भी समझिए
MRC का पूरा नाम मेरिटोरियस रिजर्व्ड कैंडीडेंट (Meritorious Reserved Candidates) है. यह कोर्ट का कोई नियम या कोई कानूनी शब्द नही हैं. यह मात्र एक आम बोल चाल का शब्द है, जो आरक्षित वर्ग के प्रतिभाशाली अभ्यर्थियों के समूह को प्रदर्शित करता है. यह जनरल कटऑफ गुणांक से अधिक है.