राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने उत्तर प्रदेश में प्राथमिक विद्यालयों में
सहायक शिक्षकों के 69,000 पदों पर जारी भर्ती पर रोक लगा दी है। मंगलवार को
सुनवाई के लिए किसी अधिकारी के उपस्थित न होने पर आयोग ने सख्त नाराजगी
जताई है। इसके साथ ही आयोग द्वारा मामले की जांच पूरी होने तक भर्ती पर रोक
लगा दी है।
69 हजार शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण नीति में अनियमितता की शिकायतों पर सुनवाई कर रहे आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. लोकेश कुमार प्रजापति ने बेहद तल्ख भाषा में पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि इस मामले में अब तक आयोग के मुताबिक न तो कार्रवाई की गई और न रिपोर्ट भेजी गई।
इससे जाहिर होता है कि आयोग के प्रति आपके मन में कोई सम्मान नहीं है। यह पेशेवर लापरवाही और आयोग के प्रति अनुचित व्यवहार कदाचार के समान है। इस मामले में शिकायतकर्ता ने आयोग को बताया है कि शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया निरंतर जारी है।
इससे भविष्य में हजारों शिकायतकर्ताओं के नुकसान की भरपाई मुश्किल है। इसके
साथ ही प्रजापति ने जांच पूरी होने तक स्थिति यथावत रखने तथा कोई भी
कार्यवाही करने पर रोक लगा दी।
बार-बार लिखे पत्र का नहीं दिया जवाब
आयोग ने इस बारे में मिली शिकायतों पर यूपी सरकार को तीन जून को नोटिस जारी कर एक हफ्ते में जवाब देने को कहा था। तय समय में जवाब न मिलने पर 15 जून को रिमाइंडर देते हुए जवाब देने के लिए तीन दिन का और समय दिया गया।
उस पर भी जवाब नहीं मिलने पर 29 जून को दिन में दो बजे आयोग के सामने उपस्थित होने का निर्देश दिया गया। फिर एक जुलाई को लिखे पत्र में सात जुलाई को सभी दस्तावेज के साथ आयोग के सामने पेश होने को कहा था। इसके बावजूद यूपी सरकार की ओर से कोई अधिकारी नहीं पहुंचा।
69 हजार शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण नीति में अनियमितता की शिकायतों पर सुनवाई कर रहे आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. लोकेश कुमार प्रजापति ने बेहद तल्ख भाषा में पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि इस मामले में अब तक आयोग के मुताबिक न तो कार्रवाई की गई और न रिपोर्ट भेजी गई।
इससे जाहिर होता है कि आयोग के प्रति आपके मन में कोई सम्मान नहीं है। यह पेशेवर लापरवाही और आयोग के प्रति अनुचित व्यवहार कदाचार के समान है। इस मामले में शिकायतकर्ता ने आयोग को बताया है कि शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया निरंतर जारी है।
बार-बार लिखे पत्र का नहीं दिया जवाब
आयोग ने इस बारे में मिली शिकायतों पर यूपी सरकार को तीन जून को नोटिस जारी कर एक हफ्ते में जवाब देने को कहा था। तय समय में जवाब न मिलने पर 15 जून को रिमाइंडर देते हुए जवाब देने के लिए तीन दिन का और समय दिया गया।
उस पर भी जवाब नहीं मिलने पर 29 जून को दिन में दो बजे आयोग के सामने उपस्थित होने का निर्देश दिया गया। फिर एक जुलाई को लिखे पत्र में सात जुलाई को सभी दस्तावेज के साथ आयोग के सामने पेश होने को कहा था। इसके बावजूद यूपी सरकार की ओर से कोई अधिकारी नहीं पहुंचा।