69 हजार शिक्षक भर्ती (69000 assistant teacher
recruitment) एग्जाम में ब्लैंक ओएमआर (omr) जमा करने वाले ‘मेधावियों’ की
खोज शुरू हो गई है। शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच कर रही एसटीएफ (stf) ने अब
जांच का दायरा बढ़ा दिया है और ब्लैंक ओएमआर (omr) जमा करने वाले
अभ्यर्थियोें के बारे में जानकारियां जुटाई जा रही हैं। इन सभी को पूछताछ
के लिए बुलाया जाएगा।
एसटीएफ (stf) के
सूत्रों का कहना है कि ब्लैंक ओएमआर (omr) जमा करने वाले अभ्यर्थियों की
संख्या 300 से अधिक है। ब्लैंक ओएमआर (omr) को जमा करने के पीछे एक ही मकसद
था कि बाद में इसमें सही जवाब भर दिए जाएं। किसी वजह से ये अभ्यर्थी अपने
मंसूबों में सफल नहीं हो सके औेर इनकी ओएमआर शीट का मूल्यांकन हो गया।।
किसकी शह पर 69 हजार शिक्षक भर्ती (69000 assistant teacher recruitment)
के ओएमआर (omr) को ब्लैंक छोड़ा गया था और इसके पीछे मकसद क्या था? इस
बिंदू पर भी जांच हो रही है।
महिला अभ्यर्थी की शिकायत के बाद खुला था मामला
ओएमआर
(omr) शीट में धांधली का मामला एक महिला अभ्यर्थी के कोर्ट पहुंचने के बाद
खुला था। रेखा वर्मा नाम की अभ्यर्थी ने हाईकोर्ट (high court) में अर्जी
लगाते हुए गलत मूल्यांकन का आरोप लगाया था। रेखा वर्मा ने याचिका
(petition) में लिखा था कि 69 हजार शिक्षक भर्ती (69000 assistant teacher
recruitment) एग्जाम में उसे मात्र तीन नंबर मिले हैं, जबकि उसका अनुमान है
कि उसे 90 नंबर मिलने चाहिए। कोर्ट ने मामले को सुना, फिर हकीकत का पता
लगाने के लिए रेखा वर्मा की ओएमआर (omr) शीट को मंगवाया गया।
अभ्यर्थी
की मौजूदगी में उसकी ओएमआर (omr) शीट को कोर्ट के सामने पेश किया गया।
ओएमआर में सिर्फ चंद सवालों के जवाब भरे गए थे। बाकी की ओएमआर शीट खाली थी।
रेखा की ओएमआर शीट देखेन के बाद याचिका को खारिज कर दिया गया। इधर याचिका
खारिज हुई, उधर 69 हजार शिक्षक भर्ती (69000 assistant teacher
recruitment) मूल्यांकन पर सवाल उठाने वाली रेखा वर्मा भी गायब हो गई।
जांच
से जुड़े एक अधिकारी का कहना है कि रेखा ने किस आधार पर मूल्यांकन को
चुनौती दी थी? जांच का यह प्रमुख बिंदू है। जब उसने जवाब भरे ही नहीं थे तो
वो किस आधार पर कोर्ट (court) पहुंची? कहीं न कहीं पूरे मामले में गोलमाल
है। इस बात की पूरी आशंका है कि रेखा को यह भरोसा दिलाया गया था कि उसकी
ओएमआर शीट में सही जवाब भर दिए गए हैं। जिस अभ्यर्थी ने ब्लैंक ओएमआर (omr)
को जमा किया हो, वह कभी कोर्ट नहीं जाएगा।
एक अभ्यर्थी ने की थी शिकायत
69
हजार शिक्षक भर्ती (69000 assistant teacher recruitment) के एक अन्य
अभ्यर्थी राहुल सिंह ने पुलिस (police) से शिकायत की है। राहुल उन
अभ्यर्थियों में शामिल है, जिनसे परीक्षा पास कराने का झांसा देकर नकल
माफिया ने रुपये ऐंठे थे। जब रिजल्ट आया तो राहुल को ठगी का पता चला। उसके
नंबर काफी कम थे। उसने भी ब्लैंक ओएमआर (omr) शीट जमा की थी। उसने जब पास
कराने का दावा करने वालों से रुपये वापस मांगे थे, उसको जान से मारने की
धमकी दी गई।राहुल ने इस मामले की शिकायत पुलिस (police) से
की। बाद में यह मामला एसटीफ (stf) को ट्रांसफर कर दिया गया। एसटीएफ (stf)
ने जांच की तो पूरा रैकेट पकड़ में आ गया। कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया।
जांच में कई सफेदपोश लोगों के नाम भी सामने आए। प्रयागराज के चंद्रमा यादव
और डॉ. केएल पटेल का नाम सामने आया। एसटीएफ के कार्रवाई की भनक लगते ही
चंद्रमा गायब हो गया। उस पर ईनाम घोषित किया गया है, लेकिन वो अब तक हाथ
नहीं आया है। चंद्रमा प्रयागराज (prayagraj) के एक स्कूल का प्रबंधक है और
उसने पास कराने के एवज में कई लोगों से रुपये ऐंठे थे। अब उनकी तलाश में
एसटीएफ लगातार दबिश डाल रही है, उस पर 25000 रुपये का ईनाम भी रखा गया है,
लेकिन कोई सुराग अब तक हाथ नहीं लगा है।
पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा
ऐसा भी हो सकता है
69
हजार शिक्षक भर्ती (69000 assistant teacher recruitment) के ब्लैंक ओएमआर
(omr) शीट जमा करने के दो कारण हो सकते हैं। यह मामला दूसरे के स्थान पर
परीक्षा देने भी जुड़ा हो सकता है। जांच से जुड़े एसटीएफ (stf) के एक
अधिकारी का कहना है कि इस बात की भी संभावना है कि ब्लैंक ओएमआर शीट जमा
करने वाला दूसरे के स्थान पर परीक्षा देने आया हो। परीक्षा केंद्र पर ओएमआर
को बदला गया हो और बाद में फर्जी अभ्यर्थी ने ब्लैंक ओएमआर (omr) शीट जमा
कर दी हो।
अब
यह भी पता लगाया जा रहा है कि ब्लैंक ओएमआर (omr) शीट जमा करने वाले
अभ्यर्थियों के आसपास बैठे अभ्यर्थियों के अंक कितने हैं और उनमें से
कितनों का सेलेक्शन हुआ है। अगर एग्जाम (exam) में आगे पीछे बैठने वाले
अभ्यर्थी सफल हुए हैं तो जांच की दिशा ही बदल सकती है। सब कुछ ब्लैंक ओएमआर
शीट जमा करने वाले अभ्यर्थियों से पूछताछ पर टिका हुआ है। अगर अभ्यर्थियों
ने गलत नाम या पते से फार्म जमा किया होगा तो उनको तलाशना मुश्किल हो सकता
है।
भीतर का कौन था शामिल?
ब्लैंक
ओएमआर (omr) शीट को जमा करने के बाद उसमें सही जवाब भरने के मामले में
शिक्षा विभाग व परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के कर्मचारी शामिल हो
सकते हैं। बिना भीतरी व्यक्ति के मिलीभगत के ओएमआर (omr) शीट को बाद में
भरना संभव नहीं है। अभी तक इस बात का खुलासा नहीं हो सका है कि कितने
अभ्यर्थियों के ओएमआर शीट में बाद में सही जवाब भरे गए। फिलहाल सिर्फ कयास
ही लगाए जा रहे हैं।
भीतर
का कौन सा आदमी नकल माफिया से जुड़ा हुआ था, इसका भी पता अब तक नहीं लगाया
जा सका है। परीक्षा से जुड़े कुछ लोगों से पूछताछ तो हो चुकी है, लेकिन
कोई अहम सुराग एसटीएफ (stf) के हाथ नहीं लगा है। एसटीएफ का पूरा फोकस स्कूल
प्रबंधन और उनसे जुड़े लोगों पर ही है। शिक्षा माफिया केएम पटेल के दो
सालों सत्यम और शिवम का नाम भी सामने आया है, लेकिन दोनों का कोई सुराग
नहीं मिला है। एसटीएफ ने प्रयागराज (prayagraj) में कई जगहों पर दबिश भी
दी, लेकिन दोनों हाथ नहीं आए। सत्यम और शिवम का नाम विवेचना में शामिल कर
लिया गया है। दोनों पर आरोप है कि इन्होंने केएम पटेल के लिए रुपये जुटाए
थे।