उत्तर प्रदेश में पौने दो साल से लंबित 69 हजार शिक्षकों की भर्ती में आंसर सीट विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिका में दखल देने से इनकार किया है. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली इस याचिका में सुनवाई से इनकार किया है.
सुप्रीम कोर्ट से यूपी सरकार को बड़ी राहत मिली है. इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने को कहा है. बता दें कि एक ही प्रश्न के बहुविकल्प उत्तर में से एक से ज़्यादा विकल्प सही होने से ये विवाद उठा था. ऐसे प्रश्नों और उत्तरों के विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में ऋषभ मिश्रा की तरफ से याचिका दाखिल की गई थी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने आंसर सीट विवाद मामले में यूपी सरकार को राहत दी थी. दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने सरकार द्वारा आठ मई 2020 को घोषित परीक्षा परिणाम पर सवालिया निशान लगाते हुए कुछ प्रश्नों एवं उत्तर कुंजी पर भ्रम की स्थिति होने से पूरी चयन प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए प्रश्नपत्र की जांच के लिए यूजीसी पैनल को भेजने के लिए कहा था. इस फैसले पर हाईकोर्ट की डिविजन बेंच ने रोक लगा दी थी.
डिविजन बेंच ने लगाई थी रोक
12 जून को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को लेकर एकल खंडपीठ के आदेश पर रोक लगा दी थी. इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 3 जून को सहायक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगाई थी, जिसे डिविजन बेंच ने पलट दिया था. डिविजन बेंच के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी.
क्या था एकल पीठ का आदेश
याचिकाकर्ताओं ने सहायक शिक्षकों के घोषित रिजल्ट में कुछ प्रश्नों की सत्यता पर सवाल उठाए थे. इस पर सुनवाई करते हुए लखनऊ बेंच की एकल पीठ ने 3 जून को भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी. कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को विवादित प्रश्नों पर अपनी आपत्ति एक सप्ताह के भीतर राज्य सरकार के समक्ष प्रस्तुत करने को कहा था. इसके बाद डिविजन बेंच ने एकल पीठ के रोक के आदेश पर रोक लगा दी.
दो साल से अधर में लटकी भर्ती
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती मामला पिछले दो साल से अधर में लटका हुआ है, जिसके चलते हजारों अभ्यर्थियों के सरकारी नौकरी के सपनों पर ग्रहण लगा हुआ है. अभ्यर्थी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं और हर रोज एक नया मोड़ सामने आ रहा है.
सुप्रीम कोर्ट से यूपी सरकार को बड़ी राहत मिली है. इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने को कहा है. बता दें कि एक ही प्रश्न के बहुविकल्प उत्तर में से एक से ज़्यादा विकल्प सही होने से ये विवाद उठा था. ऐसे प्रश्नों और उत्तरों के विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में ऋषभ मिश्रा की तरफ से याचिका दाखिल की गई थी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने आंसर सीट विवाद मामले में यूपी सरकार को राहत दी थी. दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने सरकार द्वारा आठ मई 2020 को घोषित परीक्षा परिणाम पर सवालिया निशान लगाते हुए कुछ प्रश्नों एवं उत्तर कुंजी पर भ्रम की स्थिति होने से पूरी चयन प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए प्रश्नपत्र की जांच के लिए यूजीसी पैनल को भेजने के लिए कहा था. इस फैसले पर हाईकोर्ट की डिविजन बेंच ने रोक लगा दी थी.
डिविजन बेंच ने लगाई थी रोक
12 जून को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को लेकर एकल खंडपीठ के आदेश पर रोक लगा दी थी. इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 3 जून को सहायक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगाई थी, जिसे डिविजन बेंच ने पलट दिया था. डिविजन बेंच के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी.
याचिकाकर्ताओं ने सहायक शिक्षकों के घोषित रिजल्ट में कुछ प्रश्नों की सत्यता पर सवाल उठाए थे. इस पर सुनवाई करते हुए लखनऊ बेंच की एकल पीठ ने 3 जून को भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी. कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को विवादित प्रश्नों पर अपनी आपत्ति एक सप्ताह के भीतर राज्य सरकार के समक्ष प्रस्तुत करने को कहा था. इसके बाद डिविजन बेंच ने एकल पीठ के रोक के आदेश पर रोक लगा दी.
दो साल से अधर में लटकी भर्ती
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती मामला पिछले दो साल से अधर में लटका हुआ है, जिसके चलते हजारों अभ्यर्थियों के सरकारी नौकरी के सपनों पर ग्रहण लगा हुआ है. अभ्यर्थी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं और हर रोज एक नया मोड़ सामने आ रहा है.