यूपी में उर्दू शिक्षक नौकरी के लिए दर दर भटकने को मजबूर हैं। एक तो
वैकेंसी निकलवाने के लिए शिक्षकों को धरना देना पड़ा, फिर जब वैकेंसी आई तो
सभी प्रक्रिया पूरी होने के बाद उसे निरस्त कर दिया गया है। साल 2016 में
उर्दू शिक्षकों ने रोजगार की मांग करते हुए कई बार धरना दिया। अगस्त 2016
में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी से मुलाकात की।
अखिलेश यादव से मुलाकात की तस्वीर..
इसके बाद 15 दिसंबर 2016 को 4000 उर्दू भर्ती का शासनादेश आया। इस भर्ती के लिए फॉर्म भरने की प्रक्रिया शुरू हुई। इसके बाद काउंसलिंग 22 मार्च 2017 को हुई। काउंसलिंग के बाद इन उम्मीदवारों को नियुक्ति मिलनी थी, मगर नियुक्ति की जगह काउंसलिंग के अगले दिन यानी 23 मार्च 2017 को बिना किसी उचित कारण के भर्ती प्रक्रिया पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई।
भर्ती पर रोक लगने के संबंध में आए नोटिस की तस्वीर
भर्ती निरस्त हो जाने के बाद उम्मीदवार मई 2017 में योगी जी के जनता दरबार पहुंचे और वहां उनसे मुलाकात कर अपनी व्यथा सुनाई। इसके बाद उम्मीदवारों ने जुलाई 2017 में उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा से मुलाकात करके उनको भी अपनी व्यथा सुनाई।
डॉ दिनेश शर्मा से मुलाकात की तस्वीर...
हर जगह अनुरोध करने के बाद उम्मीदवारों को जब कहीं न्याय नहीं मिला तो उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उम्मीदवार इलाहाबाद हाईकोर्ट गए। सिंगल बेंच ने 3/ 11 /2017 को सरकार को आदेश दिया कि वे भर्ती को 2 महीने के अंदर पूरा करें।
लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद भी सरकार ने इस भर्ती को पूरा नहीं किया। इसके बाद 21 मार्च 2018 को उम्मीदवारों ने केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को उनके दिल्ली स्थित आवास पर अपनी व्यथा सुनाई। इसी बीच सरकार सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ डबल बेंच पहुंच गई जिस पर 12/ 4/ 2018 को आदेश आया और सरकार को 2 महीने में भर्ती को पूरा करने को कहा गया।
केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के साथ उम्मीदवारों की तस्वीर
उर्दू एसोसिएशन के उपाध्यक्ष अय्यूब ख़ान कहते हैं, ''जब हमारी भर्ती को अदालत के आदेश के बाद में भी नहीं किया गया तो 11 जून 2018 को विधान भवन और भाजपा पार्टी कार्यालय का हमने घेराव किया। 22 जून 2018 को एनएक्सई में योगी जी से उनके समस्त अधिकारियों के साथ हमने मुलाकात की। 20 अगस्त 2018 को उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा जी से उनके ऑफिस में शिक्षा सचिव श्री प्रभात कुमार जी, डायरेक्टर बेसिक शिक्षा व अन्य सभी अधिकारियों के साथ में मुलाकात की गई, वहां भी हमकों आश्वासन दिया गया।''
अयुब खान कहते हैं, ''इसी बीच हमने कंटेंप्ट एप्लीकेशन डाल दी जिसमें 10/8/2018 को कंटेंप्ट में अदालत के द्वारा उच्च अधिकारियों को फटकार लगाई गयी।अदालत की फटकार से घबराकर 18/8/ 2018 में भर्ती प्रक्रिया को सरकार ने निरस्त करने का आदेश जारी कर दिया।''
निरस्त के आदेश की तस्वीर
अयुब खान बताते हैं, ''हम यही नही रूके, हमने नवंबर 2018 में उत्तर प्रदेश के सभी जिला अधिकारी, विधायकों व सांसदों के द्वारा प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम ज्ञापन भी भेजा। इसी बीच सरकार ने डबल बेंच के आदेश को चुनौती देते हुए रिव्यू पिटिशन दाखिल की जिसमें तारीख 25/3/2019 को आदेश हुआ कि सिंगल बेंच के आदेश को ही बहाल रखा जाए अतः भर्ती प्रक्रिया को 2 माह में पूर्ण किया जाए। अंत मे जब अवमानना में सरकार फंसती नजर आई तो हम उम्मीदवारों को सुप्रीम कोर्ट खींच लाई। इसी बीच हम उर्दू शिक्षक भर्ती के आवेदकों ने 17 मार्च 2020 को महामहिम राष्ट्रपति जी और माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी को ज्ञापन भेजकर अपनी व्यथा से अवगत कराया।
यह भी पढ़ें:RRB गोरखपुर: टेक्नीशियन के उम्मीदवारों को नहीं मिली नियुक्ति, चेयरमैन देते रहे दिलासा
उर्दू एसोसियेशन की अध्यक्षा उम्मे सफ़िया फरीदी कहतीं हैं, ''भर्ती आए 4 साल होने वाला है। कोर्ट के आदेशों के बाद भी सरकार हमें रोजगार देने को तैयार नहीं है। हम ओवरऐज होते जा रहे हैं और सभी प्रक्रिया से गुजरने के बाद भी हमें नौकरी के लिए धरना प्रदर्शन, ट्विटर कैंपेन आदि का सहारा लेना पड़ रहा है। हम चाहते हैं कि सरकार इस भर्ती को बहाल कर हम उम्मीदवारों को नियुक्ति प्रदान करें।''
इसके बाद 15 दिसंबर 2016 को 4000 उर्दू भर्ती का शासनादेश आया। इस भर्ती के लिए फॉर्म भरने की प्रक्रिया शुरू हुई। इसके बाद काउंसलिंग 22 मार्च 2017 को हुई। काउंसलिंग के बाद इन उम्मीदवारों को नियुक्ति मिलनी थी, मगर नियुक्ति की जगह काउंसलिंग के अगले दिन यानी 23 मार्च 2017 को बिना किसी उचित कारण के भर्ती प्रक्रिया पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई।
भर्ती निरस्त हो जाने के बाद उम्मीदवार मई 2017 में योगी जी के जनता दरबार पहुंचे और वहां उनसे मुलाकात कर अपनी व्यथा सुनाई। इसके बाद उम्मीदवारों ने जुलाई 2017 में उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा से मुलाकात करके उनको भी अपनी व्यथा सुनाई।
हर जगह अनुरोध करने के बाद उम्मीदवारों को जब कहीं न्याय नहीं मिला तो उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उम्मीदवार इलाहाबाद हाईकोर्ट गए। सिंगल बेंच ने 3/ 11 /2017 को सरकार को आदेश दिया कि वे भर्ती को 2 महीने के अंदर पूरा करें।
लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद भी सरकार ने इस भर्ती को पूरा नहीं किया। इसके बाद 21 मार्च 2018 को उम्मीदवारों ने केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को उनके दिल्ली स्थित आवास पर अपनी व्यथा सुनाई। इसी बीच सरकार सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ डबल बेंच पहुंच गई जिस पर 12/ 4/ 2018 को आदेश आया और सरकार को 2 महीने में भर्ती को पूरा करने को कहा गया।
उर्दू एसोसिएशन के उपाध्यक्ष अय्यूब ख़ान कहते हैं, ''जब हमारी भर्ती को अदालत के आदेश के बाद में भी नहीं किया गया तो 11 जून 2018 को विधान भवन और भाजपा पार्टी कार्यालय का हमने घेराव किया। 22 जून 2018 को एनएक्सई में योगी जी से उनके समस्त अधिकारियों के साथ हमने मुलाकात की। 20 अगस्त 2018 को उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा जी से उनके ऑफिस में शिक्षा सचिव श्री प्रभात कुमार जी, डायरेक्टर बेसिक शिक्षा व अन्य सभी अधिकारियों के साथ में मुलाकात की गई, वहां भी हमकों आश्वासन दिया गया।''
अयुब खान कहते हैं, ''इसी बीच हमने कंटेंप्ट एप्लीकेशन डाल दी जिसमें 10/8/2018 को कंटेंप्ट में अदालत के द्वारा उच्च अधिकारियों को फटकार लगाई गयी।अदालत की फटकार से घबराकर 18/8/ 2018 में भर्ती प्रक्रिया को सरकार ने निरस्त करने का आदेश जारी कर दिया।''
अयुब खान बताते हैं, ''हम यही नही रूके, हमने नवंबर 2018 में उत्तर प्रदेश के सभी जिला अधिकारी, विधायकों व सांसदों के द्वारा प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम ज्ञापन भी भेजा। इसी बीच सरकार ने डबल बेंच के आदेश को चुनौती देते हुए रिव्यू पिटिशन दाखिल की जिसमें तारीख 25/3/2019 को आदेश हुआ कि सिंगल बेंच के आदेश को ही बहाल रखा जाए अतः भर्ती प्रक्रिया को 2 माह में पूर्ण किया जाए। अंत मे जब अवमानना में सरकार फंसती नजर आई तो हम उम्मीदवारों को सुप्रीम कोर्ट खींच लाई। इसी बीच हम उर्दू शिक्षक भर्ती के आवेदकों ने 17 मार्च 2020 को महामहिम राष्ट्रपति जी और माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी को ज्ञापन भेजकर अपनी व्यथा से अवगत कराया।
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उर्दू एसोसियेशन की अध्यक्षा उम्मे सफ़िया फरीदी कहतीं हैं, ''भर्ती आए 4 साल होने वाला है। कोर्ट के आदेशों के बाद भी सरकार हमें रोजगार देने को तैयार नहीं है। हम ओवरऐज होते जा रहे हैं और सभी प्रक्रिया से गुजरने के बाद भी हमें नौकरी के लिए धरना प्रदर्शन, ट्विटर कैंपेन आदि का सहारा लेना पड़ रहा है। हम चाहते हैं कि सरकार इस भर्ती को बहाल कर हम उम्मीदवारों को नियुक्ति प्रदान करें।''