उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षकों की चल रही भर्ती (69000 Assistant
Teachers Recruitment) में इस समय दर्जनों मामले कोर्ट में विचाराधीन है।
हाईकोर्ट (Allahabad High Court) से लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तक
में अभ्यर्थियों ने न्याय पाने के लिए याचिकाएं डाल रखी है ताकि इन लोगों
का कुछ न्याय हो सकें। ऐसे ही मानवीय त्रुटि की वजह से भर्ती (69000
Assistant Teachers) से वंचित रह रहे हजारों अभ्यर्थियों ने कोर्ट की शरण
ली है। अभ्यर्थियों की मांग पर कोर्ट (High Court) एक के बाद एक करके आदेश
करता जा रहा है, लेकिन विभाग के अधिकारी कोई रुचि नहीं ले रहे हैं।
69 हजार शिक्षक भर्ती: हाईकोर्ट ने सफल अभ्यर्थियों को दी राहत, त्रुटि संशोधन का मौका देने के निर्देश
इलाहाबाद हाईकोर्ट
(Allahabad High Court) और लखनऊ बेंच दोनों ही जगहों से सैकड़ों
अभ्यर्थियों को राहत मिल चुकी हैं, लेकिन कोर्ट (Allahabad High Court) का
यह आदेश अधिकारियों कोई भी मायने नहीं रख रहा है। बेसिक शिक्षा विभाग के
सचिव से लेकर अन्य अधिकारी हाईकोर्ट (Allahabad High Court) का ऑर्डर
पहुंचने के बाद भी अभी तक कोई आदेश नहीं जारी किए हैं। बता दें, सरकार और
विभाग की तरफ से फॉर्म संशोधन की अर्जी ठुकराने के बाद अभ्यर्थियों ने
न्यायालय का सहारा लिया, जहां पर उन्हें न्याय मिला है। लेकिन अभी फॉर्म
संशोधन के लिए कोई आदेश विभाग के अधिकारियों ने नहीं जारी किया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने शुक्रवार को वरुणा कुमारी और दिव्यांशु टंडन के पक्ष में एक बार फिर से फैसला दिया है। मानवीय त्रुटि की वजह से 69 हजार शिक्षक भर्ती से वंचित होने वाले इन अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने अभ्यर्थियों के पक्ष में फैसला देते हुए विभाग से संशोधन कराएं जाने का मौका दिए जाने के लिए कहा है। जज मनीष कुमार ने इस संबंध में एक सप्ताह के अंदर जवाब भी मांगा है। अब देखने का विषय होगा कि विभाग के अधिकारी हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के इस आदेश का पालन कराते है या फिर ऐसे ही अन्य आदेश की तरह भविष्य पर छोड़ देते हैं।
69 हजार शिक्षक भर्ती: संशोधन व एनओसी पर भी हाईकोर्ट ने दी अनुमति
इलाहाबाद हाईकोर्ट
(Allahabad High Court) में यह कोई पहला मौका नहीं है। इससे पहले भी
इलाहाबाद हाईकोर्ट दर्जनों अभ्यर्थियों को राहत दे चुका है। इलाहाबाद
हाईकोर्ट ने ऐसे अभ्यर्थियों के लिए राहत दिया है, जिनकी एक त्रुटि की वजह
से विभाग नौकरी में ही नहीं रख रहा था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऐसे में 69
हजार शिक्षक भर्ती (69000 Assistant Teachers Recruitment) में फॉर्म
संशोधन के लिए परेशान हजारों अभ्यर्थियों को बड़ी राहत दी है।
हजारों अभ्यर्थियों के दर्द को समझते हुए पूर्व में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के जज अंजनी कुमार मिश्रा ने विभाग को संशोधन का मौका दिए जाने का निर्देश दिया है। उन्होंने विभाग को प्रत्यावेदन देने वाले अभ्यर्थियों के फॉर्म में संशोधन करने की अनुमति प्रदान करने के निर्देश दिए हैं। बता दें, इलाहाबाद हाईकोर्ट में फॉर्म त्रुटि में संशोधन के लिए अमर बहादुर व 25 अन्य लोग इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचें थे। इनकी तरफ से हाईकोर्ट में पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता राधारमण ओझा ने की थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में दायर याचिका संख्या 4242 पर सुनवाई करते हुए जज ने फॉर्म में संशोधन का निर्देश दिए जाने की बात कहीं। याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि ऑनलाइन आवेदन करते समय उन्होंने विभिन्न परीक्षाओं में प्राप्त अंक भरने में गलती कर दी है। फॉर्म भरते समय किसी ने पूर्णाक गलत भर दिया तो किसी ने प्राप्तांक गलत भर दिया। इसके अलावा कुछ ने अधिक अंक भर दिया, तो कुछ अभ्यर्थियों ने प्राप्तांक से कम भरे दिए।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट
(Allahabad High Court) 19 जून को ही शिक्षामित्रों को भी राहत दे चुका
है। इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में दायर याचिका में
शिक्षामित्रों ने बताया कि वह शिक्षामित्र वाला कॉलम ही भरना भूल गए, जिसकी
वजह से वह 25 अंक के वेटेज का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। उन्होंने हाईकोर्ट
ने अपना आखिरी मौका बताते हुए कोर्ट से राहत की मांग की है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के जज अंजनी कुमार मिश्रा ने भी उनके फॉर्म में संशोधन किए जाने का मौका दिए जाने के लिए कहा है। याचिकाकर्ताओं के वकील ने कोर्ट को बताया कि इस शिक्षक भर्ती में बहुत से अभ्यर्थी ग्रामीण क्षेत्र के शामिल है। ऐसे में इन लोगों को राहत दी जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि गांवों में इंटरनेट की भी समस्या रहती है, इसके अलावा उन्होंने अन्य कई समस्याओं का भी जिक्र किया था।
उन्होंने कोर्ट में कहा कि भर्ती फॉर्म (69000 Assistant Teachers Recruitment) भरते समय अभ्यर्थियों से जो भी त्रुटि हुई है वह मानवीय त्रुटि हैं, ऐसे में इन अभ्यर्थियों को संशोधन का मौका दिया जाना चाहिए। कोर्ट (Allahabad High Court) ने याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलील स्वीकार करते हुए कहा कि याची चयन समिति के समक्ष प्रत्यावेदन दें और चयन समिति उस पर विचार कर नियमानुसार निर्णय ले।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट
(Allahabad High Court) ने शुक्रवार को आवेदन में त्रुटि संशोधन की याचिका
खारिज कर दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के जज जेजे
मुनीर ने रुखसार खान कई अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए संशोधन कराने से
इंकार कर दिया है। इस तरह ऑनलाइन आवेदन फार्म की गलती सुधारने का मौका
मिलेगा या फिर यह भी अभी कह पाना मुश्किल है। कई याचिकाओं पर कोर्ट पहले ही
संशोधन किए जाने का मौका दे चुका है। ऐसे में शुक्रवार को इन याचिकाओं को
खारिज करने के बाद सवाल उठने लगे हैं।
कोर्ट ने कहा कि भर्ती के विज्ञापन निर्देशों में स्पष्ट है कि आवेदन फार्म एक बार सबमिट करने के बाद किसी दशा में सुधार का मौका नहीं दिया जाएगा। कोर्ट (Allahabad High Court) ने विज्ञापन का हवाला देते हुए कहा कि आवेदन फार्म भरते समय यह स्पष्ट प्रावधान किया गया था कि ऑनलाइन आवेदन भरने के बाद अभ्यर्थी उसका प्रिंट आउट लेकर अपने मूल दस्तावेजों से मिलान कर यह सुनिश्चित करेगा कि उसके द्वारा भरी गई सभी प्रविष्टियां सही हैं। इसके बाद में संशोधन की अनुमति नहीं दी जा सकती है। बता दें कइ अभ्यर्थियों ने इंटरमीडिएट, स्नातक व बीएड (B.ED) के गलत अंक भरने की याचिका दाखिल की थी जबकि कई अभ्यर्थी ऐसे भी थे जो अपनी आरक्षित श्रेणी और विशेष आरक्षण श्रेणी भरना भूल गए थे।
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने शुक्रवार को वरुणा कुमारी और दिव्यांशु टंडन के पक्ष में एक बार फिर से फैसला दिया है। मानवीय त्रुटि की वजह से 69 हजार शिक्षक भर्ती से वंचित होने वाले इन अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने अभ्यर्थियों के पक्ष में फैसला देते हुए विभाग से संशोधन कराएं जाने का मौका दिए जाने के लिए कहा है। जज मनीष कुमार ने इस संबंध में एक सप्ताह के अंदर जवाब भी मांगा है। अब देखने का विषय होगा कि विभाग के अधिकारी हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के इस आदेश का पालन कराते है या फिर ऐसे ही अन्य आदेश की तरह भविष्य पर छोड़ देते हैं।
69 हजार शिक्षक भर्ती: संशोधन व एनओसी पर भी हाईकोर्ट ने दी अनुमति
हाईकोर्ट इनके मामले भी दे चुका राहत
हजारों अभ्यर्थियों के दर्द को समझते हुए पूर्व में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के जज अंजनी कुमार मिश्रा ने विभाग को संशोधन का मौका दिए जाने का निर्देश दिया है। उन्होंने विभाग को प्रत्यावेदन देने वाले अभ्यर्थियों के फॉर्म में संशोधन करने की अनुमति प्रदान करने के निर्देश दिए हैं। बता दें, इलाहाबाद हाईकोर्ट में फॉर्म त्रुटि में संशोधन के लिए अमर बहादुर व 25 अन्य लोग इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचें थे। इनकी तरफ से हाईकोर्ट में पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता राधारमण ओझा ने की थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में दायर याचिका संख्या 4242 पर सुनवाई करते हुए जज ने फॉर्म में संशोधन का निर्देश दिए जाने की बात कहीं। याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि ऑनलाइन आवेदन करते समय उन्होंने विभिन्न परीक्षाओं में प्राप्त अंक भरने में गलती कर दी है। फॉर्म भरते समय किसी ने पूर्णाक गलत भर दिया तो किसी ने प्राप्तांक गलत भर दिया। इसके अलावा कुछ ने अधिक अंक भर दिया, तो कुछ अभ्यर्थियों ने प्राप्तांक से कम भरे दिए।
69 हजार शिक्षक भर्ती: त्रुटि संशोधन के लिए अभ्यर्थियों को देना होगा शपथ-पत्र
शिक्षामित्रों को भी कोर्ट ने दी है राहत
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के जज अंजनी कुमार मिश्रा ने भी उनके फॉर्म में संशोधन किए जाने का मौका दिए जाने के लिए कहा है। याचिकाकर्ताओं के वकील ने कोर्ट को बताया कि इस शिक्षक भर्ती में बहुत से अभ्यर्थी ग्रामीण क्षेत्र के शामिल है। ऐसे में इन लोगों को राहत दी जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि गांवों में इंटरनेट की भी समस्या रहती है, इसके अलावा उन्होंने अन्य कई समस्याओं का भी जिक्र किया था।
उन्होंने कोर्ट में कहा कि भर्ती फॉर्म (69000 Assistant Teachers Recruitment) भरते समय अभ्यर्थियों से जो भी त्रुटि हुई है वह मानवीय त्रुटि हैं, ऐसे में इन अभ्यर्थियों को संशोधन का मौका दिया जाना चाहिए। कोर्ट (Allahabad High Court) ने याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलील स्वीकार करते हुए कहा कि याची चयन समिति के समक्ष प्रत्यावेदन दें और चयन समिति उस पर विचार कर नियमानुसार निर्णय ले।
69 हजार शिक्षक भर्ती: कार्यरत शिक्षक करा सकेंगे काउंसलिंग, कोर्ट ने एक साथ किए सारे केस
विज्ञापन के आधार पर याचिका खारिज
कोर्ट ने कहा कि भर्ती के विज्ञापन निर्देशों में स्पष्ट है कि आवेदन फार्म एक बार सबमिट करने के बाद किसी दशा में सुधार का मौका नहीं दिया जाएगा। कोर्ट (Allahabad High Court) ने विज्ञापन का हवाला देते हुए कहा कि आवेदन फार्म भरते समय यह स्पष्ट प्रावधान किया गया था कि ऑनलाइन आवेदन भरने के बाद अभ्यर्थी उसका प्रिंट आउट लेकर अपने मूल दस्तावेजों से मिलान कर यह सुनिश्चित करेगा कि उसके द्वारा भरी गई सभी प्रविष्टियां सही हैं। इसके बाद में संशोधन की अनुमति नहीं दी जा सकती है। बता दें कइ अभ्यर्थियों ने इंटरमीडिएट, स्नातक व बीएड (B.ED) के गलत अंक भरने की याचिका दाखिल की थी जबकि कई अभ्यर्थी ऐसे भी थे जो अपनी आरक्षित श्रेणी और विशेष आरक्षण श्रेणी भरना भूल गए थे।