झाँसी : प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में 36,590 शिक्षक अपने ही साथियों से जूनियर (कनिष्ठ) हो गए हैं। 69.000 शिक्षक भर्ती के द्वितीय चरण में चयनित शिक्षकों को नियुक्ति पत्र वितरित कर दिया गया। नवनियुक्त शिक्षक नौकरी पाने जंग तो जीत गए पर अपने ही साथियों से वरिष्ठता की लड़ाई हार गए। वरिष्ठता जाने का गम उन्हें अभी भले ही न सताए किन्तु पदोन्नति के समय उन्हें यही कनिष्ठता बहुत चुभेगी।
प्रदेश में 69000 शिक्षकों की भर्ती का दूसरा चरण भी नियुक्ति पत्र वितरण के साथ ही लगभग सम्पन्न हो गया है। चयनितों की जिलों में नियुक्ति पत्र वितरित कर दिए गए हैं। सरकार की मंशा 69.000 शिक्षकों की भर्ती एक साथ करने की थी। जून माह में 67.867 वयनितों की प्रथम मेरिट सूची जारी कर काउंसिलिंग प्रारम्भ कर दी गई थी एसटी वर्ग की लगभग 1,133 सीटे खाली रह गई थीं। हाईकोर्ट के आदेश के बाद काउंसिलिंग बीच में ही रोकनी पड़ी थी। फिर कट ऑफ मामले को लेकर शिक्षामित्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को शिक्षामित्रों के लिए लगभग 37 हज़ार पदों को छोड़कर शेष पदों पर भर्ती करने की छूट दे दी थी। बस यहीं से भर्ती का चरणों में होना तय हो गया था। सरकार ने प्रथम चरण में 31,277 पदों पर अक्टूबर में चयनितों की काउन्सलिंग कराकर उन्हें नियुक्ति पत्र वितरित कर दिए थे और वे अब विद्यालयों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कट ऑफ मामले में दाखिल याचिकाओं को निस्तारित करते हुए सरकार के फैसले को सही ठहराया और सभी पदों पर भर्ती करने के निर्देश दिए। इसके पश्चात सरकार ने शेष 36,590 पदों पर चयनितों की काउंसिलिंग 2 से 4 दिसम्बर तक कराई और चयनितों को 5 दिसम्बर को नियुक्ति पत्र भी वितरित कर दिए। हजारों नवनियुक्त शिक्षक नौकरी पाने की खुशी में फूले नहीं समा रहे हैं किन्तु उनके मन में इस बात की भी टीस है कि
उनके लगभग 31 हज़ार साथी उनसे ही वरिष्ठ हो गए। उनकी यह वरिष्ठता पूरी सर्विस (सेवाकाल) में कायम रहेगी और वे पदोन्नति में भी आगे निकल जाएंगे। झाँसी जनपद में तो नियुक्ति के प्रथम चरण में ही अधिकांश सीटों पर शिक्षकों का चयन हो गया था और वे वरिष्ठता की दौड़ में आगे निकल गए। विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर असोसिएशन के जिलाध्यक्ष डॉ. अचल सिंह भी चन्द दिनों की कनिष्ठता के कारण अपने ही साथियों से (विशिष्ट बीटीसी 2004 बैच) एक इन्क्रीमेण्ट पीछे हैं। वरिष्ठता और कनिष्ठता की इस जंग के दर्द को बामौर ब्लॉक के पूर्व माध्यमिक विद्यालय बिलाटी करके के शिक्षक रमेश चन्द्र अहिरवार भली-भाँति समझते हैं। विशिष्ट बीटीसी 2004 बैच के शिक्षक रमेश चन्द्र को बंद दिनों की कनिष्टता के कारण अपने ही साथियों से एक इन्क्रीमेन्ट कम मिल रहा है। दिलचस्प बात यह है कि उनके दोनों बेटों का चयन 69,000 शिक्षक भर्ती में हो गया है। जून 2020 में भर्ती पूर्ण हो जाती तो दोनों बेटों को एक साथ नियुक्ति मिल जाती किन्तु भर्ती प्रक्रिया दो चरणों में सम्पन्न होने से छोटा बेटा सीनियर और बड़ा बेटा जूनियर हो गया। रमेश चन्द्र के छोटे बेटे दीप चन्द्र का चयन प्रथम चरण में 31,277 शिक्षकों की भर्ती में झाँसी जनपद में हो गया और वह बबीना ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय धमकन में सहायक अध्यापक के पद पर पदस्थ है। वहीं बड़े बेटे करन सिंह को भर्ती के दूसरे चरण तक इन्तजार करना पड़ा। करन सिंह का चयन बाँदा जनपद में हुआ और उन्हें 5 दिसम्बर को नियुक्ति पत्र भी मिल गया। शिक्षकों के प्रमोशन एवं इन्क्रीमेण्ट में एक-एक दिन की वरिष्ठता काफी महत्वपूर्ण हो जाती है।