69000 सहायक शिक्षकों की दो चरणों में हुई भर्ती में जिले की सभी रिक्तियां भले ही खत्म हो गई हों लेकिन जिले के ऐसे कई स्कूल हैं जहां पीटीआर के अनुसार शिक्षकों की तैनाती नहीं हुई। कई ऐसी बानगी हैं जहां जरूरत से अधिक शिक्षक पहुंच गए तो वहीं कई ऐसे स्कूल हैं जहां जरूरत के बावजूद शिक्षकों की तैनाती नहीं हो पाई। नई शिक्षक भर्ती के बाद भी जिले के तमाम स्कूलों में पीटीआर(छात्र शिक्षक अनुपात) असंतुलित बना हुआ है।
नई शिक्षक भर्ती में ऐसे कई स्कूलों को निराशा हाथ लगी है जो अपनी अधिक छात्र संख्या और कम शिक्षकों की तैनाती के कारण विद्यालय में नवीन शिक्षकों की नियुक्ति की राह देख रहे थे। गत 29 अक्टूबर को महिलाओं एवं दिव्यांगों को विकल्प के अनुसार विद्यालय आवंटन होने के बाद पुरूष शिक्षकों के स्कूल आवंटन की सूची 31 अक्टूबर को आई तो अनेक स्कूलों को निराशा हाथ लगी। बिगड़ा हुआ पीटीआर इन 475 शिक्षकों की नियुक्ति के बाद भी नहीं सुधर सका। सूत्र तो यह भी बताते हैं कि कई ऐसे स्कूलों को नए शिक्षक मिल गए हैं जहां इनकी जरूरत ही नहीं थी। एक विद्यालय में 85 शिक्षकों में पहले से ही 4 शिक्षकों की तैनाती थी, अब वहां पांचवा शिक्षक पहुंच गया है। ऐसे अन्य उदाहरण भी हैं। इन तथ्यों से पीटीआर के और अधिक असंतुलित होने की बात कही जा रही है।
दूसरे चरण में सिर्फ दो शिक्षक
उम्मीद की जा रही थी कि जिन स्कूलों में शिक्षकों की जरूरत है, उन्हें दूसरे चरण में शिक्षक मिल जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 69000 सहायक शिक्षक भर्ती के दूसरे चरण में जिले के हिस्से सिर्फ दो सीटें आई हैं। ऐसे में पीटीआर संतुलित होना संभव नहीं दिख रहा है।
आखिर कैसे हुआ स्कूल आवंटन
पुरूषों की सूची आने के बाद कयास लगाए जाते रहे कि आखिर स्कूलों का आवंटन किस आधार पर किया गया है। पहले बंद, फिर एकल एवं इसके बाद छात्र संख्या के आधार पर तय की गई रिक्तियों में शिक्षकों की नियुक्ति का प्रावधान है। इस भर्ती में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर किस आधार पर शिक्षकों को स्कूल आवंटित किए गए।
एक नजर में
कुल प्राथमिक विद्यालय-1903
कुल नवीन नियुक्तियां- 475
रिक्तियों वाले स्कूल-565
कुल ब्लॉक-13