यूपी में सरकारी स्कूलों में एक क्लास दो दिन तो निजी विद्यालय में पूरे हफ्ते चलेंगी कक्षाएं:- 2500 रुपये में कैसे होंगी व्यवस्थाएं पूरी

 सरकारी विद्यालयों में जहां जूनियर की एक कक्षा सप्ताह में दो बार ऑफलाइन चलेगी तो वहीं निजी विद्यालय कक्षा छह से आठ तक की कक्षाएं रोजाना चलाएंगे।



कक्षाओं के संचालन को लेकर अभी स्कूल असमंजस में हैं। कई स्कूल ऐसे हैं जो इस हफ्ते तैयारी करेंगे और अगले हफ्ते से कक्षाएं शुरू करेंगे।
वहीं, परिषदीय विद्यालयों में कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने को लेकर व्यवस्थाएं जुटाने पर सवाल उठने लगे हैं।
करीब 11 महीने बाद दस फरवरी से छह से आठ तक की कक्षाएं दोबारा ऑफलाइन शुरू होंगी। शासन की तरफ से जारी एसओपी के अनुसार एक कक्षा की पढ़ाई हफ्ते में दो बार होगी।
इसका शेड्यूल तैयार किया गया है। मसलन सोमवार और बृहस्पतिवार को कक्षा छह, मंगलवार व शुक्रवार को कक्षा सात और बुधवार व शनिवार को कक्षा आठ की पढ़ाई ऑफलाइन होगी।

इस पर अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने बताया कि परिषदीय विद्यालयों में क्लासरूम कम होते हैं।
वे एक से पांच और छह से आठ तक की कक्षाएं एक ही दिन चलाएंगे तो बच्चों को एकसाथ बैठाना पड़ेगा जबकि निजी विद्यालयों में हर कक्षा के लिए अलग क्लासरूम होता है।
आधी क्षमता के साथ हम रोजाना कक्षाएं चला सकते हैं। बेसिक शिक्षा अधिकारी दिनेश कुमार ने बताया कि बेसिक और माध्यमिक दोनों विभाग द्वारा मॉनिटरिंग की जाएगी। स्कूल व परिसर में पर्याप्त सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कक्षाएं चलाई जाएंगी।
कई स्कूल इस हफ्ते नहीं शुरू करेंगे कक्षाएं
पॉयनियर मोंटेसरी इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्या शर्मिला सिंह, कानपुर रोड स्थित जयपुरिया स्कूल की प्रधानाचार्या पूनम गौतम, दी मिलेनियम स्कूल की प्रधानाचार्या मंजुला गोस्वामी ने बताया कि वे बाकी स्कूलों के माहौल को देखने के बाद अगले हफ्ते 15 फरवरी से ऑफलाइन कक्षाएं शुरू करेंगे। जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल के चेयरमैन सर्वेश गोयल ने बताया कि इस हफ्ते जूनियर कक्षाएं नहीं शुरू करेंगे। अभिभावकों से बातचीत कर तैयारियां पूरी करनी हैं। सीपी सिंह फाउंडेशन के लखनऊ पब्लिक स्कूल 17 से कक्षाएं शुरू करेंगे।


2500 रुपये में कैसे होंगी व्यवस्थाएं पूरी
बेसिक शिक्षा अधिकारी दिनेश कुमार ने सैनिटाइजेशन, साफ-सफाई, थर्मल स्कैनर आदि के लिए कंपोजिट ग्रांट से 10 प्रतिशत राशि खर्च करने की अनुमति दी है। लेकिन इस पर भी सवाल उठने लगे हैं। प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने बताया कि ज्यादातर विद्यालयों को 25 हजार रुपये की ग्रांट मिलती है। उसमें से 10 प्रतिशत राशि यानी ढाई हजार रुपये में सैनिटाइज करने, थर्मल स्कैनर खरीदने, परिसर व शौचालय की साफ-सफाई करने, पीने का पानी व मास्क की व्यवस्था कैसे की जा सकती है।