उत्तर प्रदेश में स्कूल खोलने के लिए बेसिक शिक्षा निदेशालय ने विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। कक्षा एक से 8 तक हर दिन 50 प्रतिशत बच्चे ही बुलाए जा सकेंगे। किसी भी दिन कक्षा में कुल क्षमता के 50 फीसदी
से अधिक उपस्थिति नहीं होगी। अलग-अलग कक्षाओं के विद्यार्थियों को बुलाने के लिए दिन भी तय कर दिए गए हैं कोरोना का संदिग्ध केस पाए जाने पर स्कूल प्रशासन को तत्काल नजदीकी अस्पताल को सूचना देनी होगी। बच्चों को स्कूल भेजने के लिए अभिभावकों से सहमति पत्र लिया जाएगा कि लक्षण दिखाई देने पर बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे। अगर विद्यार्थी परिवार की सहमति से घर से ही अध्ययन करना चाहते हैं, तो उन्हें इसकी अनुमति दी जाए।शिक्षा निदेशक डॉ. सर्वेंद्र विक्रम बहादुर सिंह की ओर से जारी निर्देशों का परिषदीय और निजी विद्यालयों को अनिवार्य रूप से पालन करना होगा। प्रदेश में कक्षा 6 से 8 तक के स्कूल 10 फरवरी और कक्षा एक से 5 तक के स्कूल एक मार्च से खुलेंगे।
कक्षा के हिसाब से आएंगे विद्यार्थी
प्राइमरी में
कक्षा एक व पांच : सोमवार व बृहस्पतिवार
कक्षा दो व चार : मंगलवार व शुक्रवार
कक्षा तीन : बुधवार व शनिवार
उच्च प्राथमिक
कक्षा छह : सोमवार व बृहस्पतिवार
कक्षा सात : मंगलवार व शुक्रवार
कक्षा आठ : बुधवार व शनिवार
विद्यार्थी अधिक तो दो पालियों में चलेंगी कक्षाएं
स्कूल खोलने के लिए बेसिक शिक्षा निदेशालय की ओर से जारी दिशा निर्देश के अनुसार जिन कक्षाओं में विद्यार्थियों की संख्या अधिक है, वहां दो पालियों में कक्षाएं चलाई जाएंगी। इस संबंध में निर्णय प्रधानाध्यापक और विद्यालय प्रबंध समिति लेगी। जिन विद्यालयों में नामांकन अधिक है, उन्हें दो पालियों में संचालित किया जाएगा।
कक्षा में छात्र-छात्राओं के बीच न्यूनतम 6 फुट की दूरी रहे। विद्यालय के गेट खुले रखे जाएं, ताकि एक जगह भीड़ न हो। अभिभावकों और विद्यार्थियों को जागरूक करने के लिए पब्लिक एड्रेस सिस्टम का उपयोग किया जाए। डिजिटल थर्मामीटर, सैनिटाइजर और साबुन आदि की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
परिवहन व्यवस्था प्रारंभ किए जाने से पहले सैनिटाइजेशन सुनिश्चित किया जाए। नोटिस बोर्ड पर कोविड नियमों का पालन के बाबत सूचना दी जाए। समारोह, त्योहार व खेलकूद के आयोजन से बचा जाए। नामांकन के समय अभिभावक के साथ बच्चों के आने से मुक्त रखा जाए। अगर विद्यार्थी परिवार की सहमति से घर से ही अध्ययन करना चाहते हैं, तो उन्हें इसकी अनुमति दी जाए।
विद्यालय कैंपस की प्रतिदिन मानकों का पालन करते हुए साफ-सफाई की जाएगी
छात्र या स्टाफ के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने की स्थिति में प्रोटोकॉल के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। प्रधानाध्यापक बच्चे के अभिभावक और नजदीकी अस्पताल को सूचना देंगे। सभी छात्रों व अभिभावकों से अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय यात्रा से संबंधित स्वघोषणापत्र लिया जाएगा।
विद्यालय कैंपस की प्रतिदिन मानकों का पालन करते हुए साफ-सफाई की जाएगी। बच्चों को घर से ही पानी की बोतल लाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। पुस्तकालय में भी छह फीट की दूरी अनिवार्य है। बच्चे मास्क की अदला-बदली न कर सकें। पाठ्यपुस्तकें, नोटबुक, पेन और भोजन आदि को साझा न करें। बाहरी वेंडर को विद्यालय के अंदर खाद्य सामग्री की बिक्री से रोका जाए। विद्यालय की बसों को प्रतिदिन दो बार सैनिटाइज किया जाए।
बस में चढ़ने से पहले सभी बच्चों की थर्मल स्क्रीनिंग की जाए। बिना मास्क के किसी को भी बस पर बैठने की अनुमति नहीं दी जाए। बस की सभी खिड़कियां खुली रहें। रसोइयों को भी अच्छी तरह से हाथ धुलवाने के बाद प्रवेश दिया जाए। उनके लिए भी मास्क अनिवार्य होगा। बच्चों के हाथ धुलवाने के बाद इन्हें कपड़े से पोंछने के बजाय हवा में सुखाने के लिए प्रेरित किया जाए। भोजन वितरण के दौरान निर्धारित दूरी का पालन किया जाए।
विद्यालय नहीं लेगा कोई गारंटी
विद्यालय प्रबंधन अभिभावकों से सहमति पत्र लें कि विद्यालय कोई ऐसी गारंटी नहीं लेता कि भविष्य में कोई छात्र-छात्रा और अभिभावक इस महामारी से संक्रमित नहीं होगा। अभिभावक यह सुनिश्चित करेंगे कि बच्चे के शरीर का तापमान 100 डिग्री फॉरेनहाइट से अधिक होना, सांस लेने में दिक्कत, स्वाद का अभाव, खांसी-जुकाम के कोई लक्षण नहीं हैं। कोई भी लक्षण बच्चे में पाए जाते हैं तो बच्चे को विद्यालय नहीं भेजेंगे। अभिभावकों को यह भी बताया जाए कि विद्यालय में बच्चे को भेजना पूरी तरह से स्वैच्छिक है।