अपनी 'केयर' खुद कर रहे शिक्षक:- शिक्षक परिवारों को संकट से उबारने के लिए अब शिक्षक आगे आए

 झांसी। अप्रैल 2004 के बाद नियुक्त होने वाले शिक्षकों के लिए फंड व पेंशन का प्रावधान नहीं है। ऐसे में किसी शिक्षक के साथ अप्रिय घटना होने पर उस पर आश्रितों के समक्ष गंभीर आर्थिक संकट खड़ा हो जाता है। शिक्षक परिवारों को इससे उबारने के लिए अब शिक्षक खुद आगे आए हैं। टीचर्स सेल्फ केयर टीम के जरिये शिक्षक परिवारों को आर्थिक मदद पहुंचाने का काम किया जा रहा है।



टीचर सेल्फ केयर टीम में प्रदेश भर के बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षक शामिल हैं। प्रदेश के किसी भी जनपद में किसी शिक्षक की मृत्यु होने पर उसके परिवार को आर्थिक मदद उपलब्ध कराने का ये टीम काम करती है। शिक्षक की मृत्यु का समाचार आने पर पहले पुष्टि विभागीय अधिकारियों से की जाती है। इसके बाद टीम से जुड़े संबंधित जिले के शिक्षक इस बारे में जानकारी जुटाते हैं। विभाग द्वारा घोषित शिक्षक के आश्रित को मदद पहुंचाने का काम किया जाता है। धनराशि सीधे बैंक खाते में भेजी जाती है। शिक्षक के परिवार से संबंधित जानकारियां टेलीग्राम एप पर बनाए ग्रुप पर डाली जाती है। स्वेच्छा से मदद करने की अपील की जाती है। जिसको जितनी मदद देनी होती है, वो उतनी धनराशि संबंधित के खाते में ऑनलाइन ट्रांसफर कर देता है। हाल ही में जालौन जिले के कोंच जिले में एक शिक्षक की मृत्यु हो गई थी। ऐसे में टीचर्स सेल्फ केयर टीम द्वारा शिक्षक के परिजनों को लगभग तेरह लाख रुपये की राशि उनके बैंक खाते में उपलब्ध कराई। इस तरह से ये टीम प्रदेश में कई शिक्षक परिवारों को आर्थिक सहायता उपलब्ध करा चुकी है।

पूरी पारदर्शी प्रक्रिया के तहत शिक्षकों को मदद पहुंचाने काम किया जाता है। विभागीय अधिकारियों से भी इसकी पुष्टि की जाती है। टीम अब तक प्रदेश के कई शिक्षकों की मदद कर चुकी है। स्वेच्छा से शिक्षक मदद करने का काम करते हैं।
- डॉ. रहबर सुल्तान, शिक्षक व आरटीआई एक्टिविस्ट
अप्रैल 2004 के बाद से तैनात हुए शिक्षकों को फंड, पेंशन जैसी सुविधाएं मिल नहीं रही हैं। ऐसे में अप्रिय घटना घटित होने पर शिक्षक परिवार मोहताज हो जाता है। टीचर्स सेल्फ केयर टीम दिवंगत शिक्षक के परिवार को मदद पहुंचाने का काम करती है। - रसकेंद्र गौतम, प्रदेश मंत्री - बेसिक शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन