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छात्रों ने सुझाया शिक्षक भर्ती का फार्मूला

ALLAHABAD: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में डायरेक्ट इंटरव्यू के जरिए होने जा रही शिक्षक भर्ती को लेकर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से डिबेट का आयोजन किया गया था। इसे 28 अक्टूबर के अंक में शिक्षक भर्ती के लिये रिटेन टेस्ट क्यों नहीं शीर्षक से प्रकाशित किया गया था।
डिबेट आप की बात को रीडर्स ने काफी पसंद किया है और एक सुर में शिक्षक भर्ती के लिये रिटेन टेस्ट करवाने के लिये आवाज उठाई है। सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर युवाओं के अलावा इसे बड़ों का भी समर्थन प्राप्त हो रहा है और वे इसे खूब शेयर, लाइक और कमेंट कर रहे हैं।
नेट वालों के लिये एपीआई का क्या मतलब?
रिटेन टेस्ट के लिये फेसबुक पर छात्रों ने अलग से एक पेज शिक्षक भर्ती इलाहाबाद विश्वविद्यालय बनाया है। इसके अलावा uppsc/uphesc पेज पर भी खबर पर कमेंट किये जा रहे हैं। रीडर्स ने एक बेहद अहम सवाल भी उठाया है कि पीजी करने के बाद ऐसे छात्र जो असिस्टेंट प्रोफेसर के लिये सीधे नेट क्वालीफाई करते हैं। उनके लिये एपीआई स्कोर की बात करना क्या जायज है? मात्र एपीआई स्कोर गेन करने के अभाव में नेट क्वालीफाइड तो पहले ही होड़ से बाहर हो जाता है। युवाओं ने कहा है कि आज जब प्राइमरी भर्ती के लिये रिटेन एग्जाम हो रहा है तो यूनिवर्सिटी में शिक्षक भर्ती के लिये क्यों नहीं? उन्होंने शिक्षक भर्ती के लिए रिटायरमेंट की आयु 65 वर्ष तक फार्म भरे जाने के प्रावधान रखे जाने का भी विरोध किया है।
टीचर्स को समाज में उच्च दर्जा दिया गया है। इनपर समाज को सही दिशा देने की जिम्मेदारी होती है। इसलिए टीचर्स को काबिल और संवेदनशील होना अति जरूरी है। इनकी काबिलियत को जांचने परखने के कई मापदंड होने चाहिए।
- अनुज कुमार, एमए स्टूडेंट
अगर यूनिवर्सिटी लिखित भर्ती परीक्षा कराएगी तो चाटुकार तो पहले ही बाहर हो जाएंगे। आगे आप लोग समझदार हैं समझ ही रहे हैं। निष्पक्षता के लिए निष्पक्ष इंसान का होना भी जरूरी है।
- अभिषेक कुमार भास्कर, एमएससी
इंटरव्यू और एपीआई द्वारा सिलेक्शन से सिर्फ भ्रष्टाचार ही होगा। लोग पैसों के दम पर आ जाएंगें या उच्चाधिकारियों के चाटुकार आ जाएंगे। कुछ दिनों पहले न्यूज पर एक कवरेज में आपने देखा कि बिहार में किस तरह कॉलेज चल रहे हैं। पढ़ाने और पढ़ने वाला कोई नहीं, लेकिन डिग्री मिल जा रही है। वहां से लोग पीएचडी बिना कॉलेज कर ले रहे हैं और वो लोग भी इंटरव्यू देकर प्रोफेसर बन सकते हैं। यह स्थिति सिर्फ बिहार ही नहीं सभी राज्यों में है।
- प्रशांत सिंह एमएससी
मै लिखित भर्ती परीक्षा का पूरा समर्थन करता हूं और चयन प्रक्रिया में लिखित परीक्षा के अंकों को जोड़कर मेरिट तय करने का भी पूरा समर्थन करता हूं। लिखित परीक्षा किसी निष्पक्ष संस्था द्वारा कराना ही उचित होगा।
- विक्रम गौरव सिंह, पीएचडी स्टूडेंट
योग्य शिक्षक की नियुक्ति के लिए रिटेन टेस्ट की अनिवार्यता होनी ही चाहिए। ऐसा करने से ट्रांसपैरेंसी आएगी और जुगाड़ वालों को स्पेस नहीं मिलेगा .
- संदीप एस। यादव, एमएससी आईआईटी मुम्बई
बड़े पदों पर बैठे आज के महानायक लोग अपनी ही झोली भरने में लगे हुए हैं। इसलिए इन जैसे नमूनों को सही रूप से शिक्षा की डेफिनिशन भी नहीं आती। इन सबको दूर करने के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए रिटेन टेस्ट जरूरी हो गया है।
- विश्वजीत तिवारी, नेट क्वालीफाइड
चयन प्रक्रिया में धांधली इस कदर हावी होती है कि अगर किसी यूनिवर्सिटी के टीचर्स की लिस्ट उठाकर देखेंगे तो केवल कुछ ही जातियों के लोग भरे मिलेंगे। रिटेन एग्जाम से योग्य कैंडिडेट चुनने में न केवल आसानी होगी, बल्कि इंटरव्यू से धांधली की संभावना से निजात मिलेगी.
- अखिल कुमार सिंह, पीएचडी स्टूडेंट आईआईटी कानपुर
छात्रों ने फाइनल सेलेक्शन का सुझाया ये फॉर्मूला
फॉर्मूला- 1
रिटेन एग्जाम से 30 फीसदी, इंटरव्यू से 20 फीसदी, एकेडमिक से 20 फीसदी और रिसर्च से 30 फीसदी अंक जोड़े जाएं.
फॉर्मूला- 2
- 50 फीसदी रिसर्च, 30 फीसदी रिटेन एग्जाम, 20 फीसदी इंटरव्यू
फॉर्मूला- 3
- 40 फीसदी रिटेन, 40 फीसदी रिसर्च एंड 20 फीसदी इंटरव्यू
फॉर्मूला- 4
- 30 फीसदी रिटेन, 20 फीसदी एकेडमिक, 35 फीसदी रिसर्च एंड 15 फीसदी इंटरव्यू से अंक जोड़े जाएं।
फॉर्मूला- 5
- 50 फीसदी रिटेन एग्जाम, 25 फीसदी शोध एवं 25 फीसदी
फॉर्मूला- 6

- सेलेक्शन में 90 फीसदी रिटेन और मात्र 10 फीसदी इंटरव्यू के मा‌र्क्स जुड़ने चाहिए.
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