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एआइसीटीई और एनसीटीई में भी अब होगा बदलाव, गुणवत्ता से समझौता और फर्जीवाड़ा रोकना चाहती है सरकार

उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने में जुटी सरकार के सामने विश्वविद्यालयों के साथ-साथ तकनीकी शिक्षा (इंजीनियरिंग) और टीचर्स ट्रेनिंग की गुणवत्ता सुधारने की भी चुनौती है। ऐसे में सरकार ने यूजीसी को खत्म करने और नई एजेंसी के गठन के अगले चरण में एआइसीटीई और एनसीटीई में भी बदलाव की शुरू कर दी है।
माना जा रहा है कि जल्द ही यूजीसी की तरह इसमें भी बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। सरकार ने इसके संकेत भी दे दिए हैं। हालांकि इससे पहले तीनों ही नियामकों को एक करने की कोशिश थी।1इन बदलावों के पीछे मकसद बिल्कुल साफ है। वह इसके जरिये इन नियामकों को और ज्यादा अधिकार संपन्न बनाना चाहती है, ताकि गुणवत्ता से समझौता और फर्जीवाड़ा करने वाले संस्थानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सके। यही वजह है कि यूजीसी को खत्म कर प्रस्तावित नए आयोग को जुर्माना व सजा सुनाने का अधिकार दिया गया है। सूत्रों की मानें तो ऑल इंडिया काउंसिल आफ टेक्नीकल एजुकेशन और नेशनल काउंसिल आफ टीचिंग एजुकेशन को भी बदलाव के बाद यूजीसी की तरह जुर्माना करने और सजा देने का अधिकार दिया जाएगा।

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