शिक्षामित्रों को शिक्षक का दर्जा देने के यह हैं प्रमुख विकल्प,जिसमे कोर्ट की कोई अड़चन नहीं

शिक्षामित्रों के हित के लिये,अगर राज्य सरकार चाहे तो इन , options पर निर्णय ले सकती है.....

1 मा उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा  रिट संख्या--7300/2018,में पारित आदेश/निर्देश के आधार पर रुपया 38878/ 12,माह 62,वर्ष तक करके समस्त शिक्षामित्रों को पैराटीचर के पद पर नियमित करते हुए स्थायित्व प्रदान  करें।
( प्रथम वरीयता क्रम में इस मांग को रखने से सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन भी नहीं होगा और हाईकोर्ट इलाहाबाद बेंच के आदेश का पालन भी हो जाएगा और टेट से छूट भी मिल जाएगा)
2--दिनाँक-29/05/2018,को मध्यप्रदेश की सरकार जिस तरह से 2.35,लाख संविदा शिक्षकों का समायोजन/संविलियन करने का निर्णय लिया है, और 1.85 हजार संविदा कर्मचारियों को 62,वर्ष तक की सेवा के साथ अन्य विभाग की तरह सभी लाभ देने का निर्णय किया है उसी प्रकार से up,सरकार भी शिक्षामित्रों को इस तरह से लाभ दे सकती है,/और इस पर निर्णय भी लेना चाहिए।
         
3- समस्त शिक्षामित्रों को प्राथमिक विद्यालयों में अतिरिक्त संवर्ग/गैर  शैक्षणिक संवर्ग सृजित कर स्थायी रूप से समायोजित कर दिया जाये।
4--124000 स्नातक शिक्षामित्र पैरा टीचर की श्रेणी में आते है।.
Rte.act.2009 के तहत प्रशिक्षित अध्यापकों का ही चयन प्रा0वि0 में कराया गया था, जिसमे शिक्षामित्रों को 58000+66000=124000 अपग्रेड/पैरा टीचर को प्रशिक्षित दो वर्षीय दूरस्थ बी0टी0सी0(डी0ईएल0ई डी0)माध्यम से दिया गया.
(2209/79-05-2011-282-98,शासनादेश अनिल संत  द्वारा(सचिव) 124000,अपग्रेड पैरा टीचर को MHRD व् ncte.दिनाँक-05-03-2015,को आदेश संख्या एफ- 48-8-2013/ncte. एफ-61-7/2010,ncte./एम &एस लेटर न0-30607918/2015,से टेट(tet)से छूट दी गयी है।_
_................इसलिये  124000 upgrade teacher(para teacher) को नियमित करते हुये assistant teacher की तरह कार्य लिया जाये और assistant teacher
के समान regular वेतन भुगतान किया जाये....।
5----असमायोजित शि0 मि0/समस्त समायोजित अध्यापक (शिक्षामित्रों)को समान कार्य समान वेतन के आधार पर वेतन लागू किया जाये 62,वर्ष की सेवा/12 माह हेतु नियमावली बनाकर नियमित किया जाये...।
नोट:-- इसमे जो भी बिन्दु हैं, अगर आप के पास इन सभी बिन्दुओं के शासनादेश,आदेश/निर्देश उपलब्ध हो तो उसकी छाया प्रति नीचे जरूर संलग्न करें....।

‍♂...इन बिदुओं पर अगर राज्य सरकार निर्णय लेती है,तो सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना नही होगी।