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परिणाम से पहले भरा आवेदन, बन गए मास्साब

मुरादाबाद : बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक भर्ती घोटाले में एक और प्रकरण सामने आया है। एसडीएम द्वारा जब्त शिक्षक भर्ती की 40 फाइलों में 32 शिक्षकों ने बीटीसी का परिणाम आने से पहले ही ऑनलाइन आवेदन में अंक भर दिए।
इन शिक्षकों ने ऑनलाइन आवेदन के लिए पंजीयन छह सितंबर 2015 को किया। चालान जमा करने के बाद 10 सितंबर 2015 को आवेदन पूर्ण कर दिया, जबकि इन्हें तब तक पता ही नहीं था कि दोबारा परीक्षा में पास होंगे या फेल। संशोधित परिणाम 15 सितंबर 2015 को आया। परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने भी इनकी बीटीसी उत्तीर्ण 15 सितंबर 2015 मानी है।

दरअसल, अभ्यर्थियों ने बीटीसी की प्रयोगात्मक परीक्षा में तृतीय व द्वितीय श्रेणी के अंक आने पर कम अंक बताते हुए आपत्ति जताई थी। राजनीतिक दबाव में इन 32 शिक्षकों की प्रयोगात्मक परीक्षा दोबारा कराई गई जबकि एक बार प्रयोगात्मक परीक्षा में उत्तीर्ण होने पर दोबारा परीक्षा होने का नियम नहीं है और न बीटीसी में स्नातक की तरह इंप्रूवमेंट परीक्षा होती है। 32 शिक्षकों की दोबारा प्रयोगात्मक परीक्षा हुई, जिससे पुराना परिणाम शून्य हो गया। इस आधार पर बीटीसी उत्तीर्ण नहीं मानी जा सकती थी। इसी को लेकर कुछ लोगों ने मुख्यमंत्री के पोर्टल पर शिकायत की है। एसडीएम शैलेंद्र सिंह व पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी की जांच में अब यह मामला पकड़ में आया है। शासन ने शिक्षक भर्ती का 2015 में विज्ञापन जारी कर दिया था। तब तक इन 32 का संशोधित परिणाम नहीं आया था लेकिन इन्होंने गुमराह करके शून्य घोषित हो चुके परिणाम के पुराने अंक आवेदन में भर दिए। दोबारा प्रयोगात्मक परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर ऑनलाइन आवेदन करना चाहिए था। दोबारा परीक्षा में आरोपित के अलावा अन्य बीटीसी अभ्यर्थियों की परीक्षा निरस्त नहीं हुई थी।
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परिणाम शून्य होने पर नहीं भरा जा सकता था आवेदन
जानकारों की मानें तो संशोधित परिणाम वह होता है जिसकी लिखित परीक्षा हो जबकि इनके स्वयं की मांग पर पहली परीक्षा का परिणाम शून्य हो गया था। इन्होंने खेल यह खेला कि इस अवधि से पहले पुराने अकों(जो शून्य हो गए) में पास मानकर आवेदन कर दिया और बाद में त्रुटि सुधारने का मौका मिला तो संशोधित परिणाम के अंक भर दिए।
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आरोपित शिक्षकों ने स्वयं को सही ठहराया
अपना पक्ष डीएम व पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी एमपी सिंह के सामना रखा है और अपनी शिक्षक भर्ती का चयन सही ठहराने का प्रयास कर रहे हैं। डीएम ने एसडीएम शैलेंद्र कुमार व पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी एमपी सिंह की रिपोर्ट व आरोपित शिक्षकों की बात सुनने के बाद दोबारा विचार करने का आश्वासन दिया है। अजय कुमार का कहना है कि उनकी नियुक्ति पूरी तरह से सही है। किसी तरह की कोई हेराफेरी नहीं की गई है और दोबारा जांच की मांग की है। योगेश कुमार ने भी अपना पक्ष रखा है और आवेदन व काउंसिलिंग के समय अंक बदलने का कारण स्पष्ट किया है। इनकी बात का संज्ञान लेकर अब डीएम ने कमेटी बना दी है। एसडीएम ने जो शिक्षक भर्ती की फाइलें जब्त की हैं उनकी जांच होगी।
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वर्जन
अभी जांच चल रही है। अंक गलत तरीके से भरे गए या सही। इसकी विधिक राय भी ली जा रही है। शासनादेश की नियमावली का संज्ञान भी लेंगे। इसके बाद ही कार्रवाई होगी। शिक्षकों की बात को भी शासन तक पहुंचाया जाएगा।

राकेश कुमार सिंह, डीएम

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