प्रदेश सरकार राज्य विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालय के शिक्षकों को कंसलटेंसी की अनुमति दे सकती है। इस प्रस्ताव पर विचार करने के लिए उच्च शिक्षा विभाग ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है।राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन के संबंध में शुक्रवार को अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा मोनिका एस गर्ग की अध्यक्षता में हुई स्टीयरिंग
कमेटी 19वीं ऑनलाइन बैठक में यह फैसला किया गया। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि यह कमेटी टेक्निकल संस्थानों की तरह उच्च शिक्षण संस्थाओं में भी कंसलटेंसी की व्यवस्था लागू करने के लिए एक नीति बनाए। कंसल्टेंसी से न केवल संस्थान एवं शिक्षक को भी वित्तीय लाभ होता है। इसके साथ ही उन्हें ‘इंडस्ट्रियल एक्स्पोज़र भी प्राप्त होता है। बैठक में सरकारी अनुदान के अलावा विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के लिए वित्तीय संसाधन जुटाने वाले उपायों पर हुई विस्तृत चर्चा हुई। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों को अन्य स्रोतों से भी वित्तीय संसाधन जुटाने के रास्ते तलाशने होंगे। विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय अपने क्षेत्र की कंपनियों से संपर्क कर समझौता (एमओयू) करें तथा उनसे कॉर्पोरेट की सामाजिक जिम्मेदारी फंड (सीएसआर) के तहत अपने विद्यार्थियों के लिए डिजिटल डिवाइस उपलब्ध कराने का प्रयास करें।अपर मुख्य सचिव मोनिका एस गर्ग ने कहा कि कंसलटेंसी, ई-सुविधा व सोलर ग्रिड को अपनाने के लिए विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय आवश्यक उपाय करें। इसमें सरकार उनकी मदद करेगी। कमेटी के एक सदस्य डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय अपने पास उपलब्ध आधारभूत संरचनाओं का उपयोग कर कुछ वित्तीय संसाधन जुटा सकते हैं, जिसका उपयोग छात्र हित के विभिन्न कार्यों में किया जा सकता है।
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