राज्य सरकार ने 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में 31277 पदों पर नियुक्ति में कम अंक पाने वालों का चयन पाए जाने पर इसे सुधारने और अधिक अंक वालों की काउंसिलिंग कराकर उन्हें नियुक्ति देने तथा कम अंक
वालों की नियुक्तियां रद्द करने को कहा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रही इस मामले की सुनवाई के दौरान एडवोकेट जनरल राघवेंद्र सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बहस में बताया कि एनआईसी से इस सन्दर्भ में पड़ताल की गई है कि कम पद होने के बावजूद सूची जारी करने में किस प्रकार अनियमितता हो गई। उन्होंने कहा कि एनआईसी की रिपोर्ट आने के बाद यदि गड़बड़ी मिलती है तो उसे सुधारा जाएगा।एडवोकेट जनरल ने कोर्ट को बताया कि ये सब नियुक्तियां अभी अंतिम नहीं हैं। इन पर पुनर्विचार हो सकता है। नियुक्तियां सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय के अधीन हैं। सुप्रीम कोर्ट में कट ऑफ मेरिट और शिक्षामित्रों के समायोजन का प्रकरण अभी लंबित है। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से कम गुणांक वाले को नियुक्ति देने और अधिक गुणांक वालों को नियुक्ति नहीं देने का सवाल ही नहीं उठता है। यदि ऐसा हुआ है तो मेधावी अभ्यर्थियों को काउंसिलिंग में बुलाकर अवसर दिया जाएगा। एडवोकेट जनरल ने यह भी कहा कि यदि कोई जांच रिपोर्ट होगी तो उसे अगली सुनवाई पर कोर्ट के समक्ष रखेंगे। साथ ही उस पर राज्य सरकार का स्टैंड भी स्पष्ट करेंगे।
एडवोकेट जनरल के इस बयान के बाद न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने कहा कि इस मामले में फिलहाल कोई आदेश करने की आवश्यकता नहीं है। इसी के साथ कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई के लिए 17 नवंबर की तारीख लगा दी। संजय कुमार यादव व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान याचियों की ओर से अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी, अनिल सिंह बिसेन आदि का कहना था कि नियुक्ति पत्र के लिए जारी की गई सूची में कई ऐसे मामले हैं जिनमें कम गुणांक वालों को नियुक्ति पत्र दे दिए गए जबकि अधिक गुणांक पाने वाले चयन से बाहर हैं। याची ओबीसी कटेगरी के अभ्यर्थी हैं और उनसे कम गुणांक वाले को नियुक्ति पत्र दे दिया गया है।