सीएमओ आफिस में मेडिकल प्रमाण पत्र बनवाने पहुंच रहे युवाओं को 600 रुपये में फर्जी प्रमाण उपलब्ध कराया जा रहा है। शनिवार को इसका राजफाश तब हुआ जब एक अभ्यर्थी के सर्टििफकेट पर नाम गलत हो गया। वह उसे सही कराने के लिए सीएमओ आफिस पहुंचा तो पटल बाबू ने मामला पकड़ लिया।
दो दिन पहले शिक्षक भर्ती के लिए अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र मिला। अब ज्वाइनिंग के लिए उनसे मेडिकल सर्टििफकेट मांगा जा रहा है। इसे बनवाने के लिए शनिवार को सीएमओ आफिस में अभ्यर्थियों की भीड़ थी। यहां प्रतापगढ़ जनपद से एक अभ्यर्थी भी सर्टििफकेट बनवाने पहुंचे। वह काल्विन अस्पताल में स्वास्थ्य परीक्षण के लिए जा रहे थे। तभी सीएमओ आफिस के ही एक स्टॉफ ने उसे रोक लिया और कहा, 600 रुपये खर्च कर दीजिए तो वह तुरंत मेडिकल सर्टििफकेट बनवा देगा। जल्दी के चक्कर में उसने 600 रुपये उसे थमा दिया और कुछ देर में उसे सर्टििफकेट मिल गया। नाम में कुछ गलती होने के कारण वह कुछ देर बाद फिर से सीएमओ आफिस लौटा। मेडिकल बोर्ड की टीम ने सर्टििफकेट देखा बोर्ड के सदस्य चौंक पड़े। क्योंकि वह फर्जी था और मेडिकल बोर्ड ने उसे जारी ही नहीं किया था। भुक्तभोगी अभ्यर्थी ने बताया कि रंजीत नामक कर्मचारी ने उसे फर्जी सर्टििफकेट उपलब्ध कराया गया।
फर्जी मेडिकल सर्टििफकेट बनाए जाने का मामला संज्ञान में आया है। कुछ लोगों के बारे में जानकारी मिली है कि वह अभ्यíथयों से वसूली करके फर्जी सर्टििफकेट बना रहे हैं। ऐसे लोगों को चिह्न्ति किया जा रहा है। मेडिकल सर्टििफकेट के लिए 12 रुपये का शुल्क निर्धारित है। यदि कोई अधिक रुपये लेता है तो इसकी शिकायत उनसे कर सकते हैं। - डॉ. जीएस वाजपेयी, सीएमओ