*69000/- शिक्षक भर्ती के क्रम में प्रथम चरण में अधिकतम व न्यूनतम गुणांक को लेकर विवाद में आयी 30,235/- की चयनित सूची सुप्रीम कोर्ट के द्वार तक पहुंचने के लिए आतुर*?
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*जैसा कि 69000/- शिक्षक भर्ती के क्रम में प्रथम चरण में 30,235/- चयनितों को अभी तक अपने स्कूल का दर्शन तक नहीं हो पाये थे कि सिर मुड़ाते ओले पड़ गए? फिलहाल अधिक गुणांक वाले अचयनितों ने कम गुणांक वाले चयनितों के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट के दिनांक - 19 अक्टूबर को दिए गए आदेश के क्रम उनकी कब्र खोजने की शुरुआत
करवा दी है और योगी सरकार के लिए आसानी से न्यूनतम गुणांक पर नियुक्ति पत्र पाये चयनितों को आसानी से दफनाना आसान भी नहीं होगा, यदि इलाहाबाद हाई कोर्ट अनुपालन में योगी सरकार उच्च गुणांक वालों को न्यूनतम गुणांक वालों को किक मार करके निकालने के लिए तैयारी कर रही है तो नियुक्ति पत्र पाये न्यूनतम गुणांक वाले भी सुप्रीम कोर्ट तक दहाड़ मारने की तैयारी करना शुरू भी कर दिया हैं और हाल अब यह होने वाला है कि यदि हमें खेलने को नहीं मिलेगा तो हम खेल ही बिगाड़ देगें, बहरहाल योगी सरकार में बेसिक शिक्षा विभाग के शीर्ष अधिकारियों के द्वारा इस भर्ती में हुए असीमित भ्रष्टाचार भर्ती प्रक्रिया में जान करके की गई अनियमितता की जितनी आलोचना की जाए उतना ही कम है क्योंकि इन अधिकारियों को वही नियमानुसार सूची बनानी चाहिए था जोकि सदैव विवाद रहित रहती? लेकिन कही न कही अपनो को चयन करने की चाह में इन भ्रष्ट अधिकारियों ने ऐसा पलीता लगाया कि योगी सरकार की अब हर जगह थू - थू होना शुरू हो चुका है, खैर यदि यह भ्रष्ट चयनित सूची का विवाद सुप्रीम कोर्ट की चौखट तक पहुंचा तो मामला कुछ भी हो सकता है?*
करवा दी है और योगी सरकार के लिए आसानी से न्यूनतम गुणांक पर नियुक्ति पत्र पाये चयनितों को आसानी से दफनाना आसान भी नहीं होगा, यदि इलाहाबाद हाई कोर्ट अनुपालन में योगी सरकार उच्च गुणांक वालों को न्यूनतम गुणांक वालों को किक मार करके निकालने के लिए तैयारी कर रही है तो नियुक्ति पत्र पाये न्यूनतम गुणांक वाले भी सुप्रीम कोर्ट तक दहाड़ मारने की तैयारी करना शुरू भी कर दिया हैं और हाल अब यह होने वाला है कि यदि हमें खेलने को नहीं मिलेगा तो हम खेल ही बिगाड़ देगें, बहरहाल योगी सरकार में बेसिक शिक्षा विभाग के शीर्ष अधिकारियों के द्वारा इस भर्ती में हुए असीमित भ्रष्टाचार भर्ती प्रक्रिया में जान करके की गई अनियमितता की जितनी आलोचना की जाए उतना ही कम है क्योंकि इन अधिकारियों को वही नियमानुसार सूची बनानी चाहिए था जोकि सदैव विवाद रहित रहती? लेकिन कही न कही अपनो को चयन करने की चाह में इन भ्रष्ट अधिकारियों ने ऐसा पलीता लगाया कि योगी सरकार की अब हर जगह थू - थू होना शुरू हो चुका है, खैर यदि यह भ्रष्ट चयनित सूची का विवाद सुप्रीम कोर्ट की चौखट तक पहुंचा तो मामला कुछ भी हो सकता है?*