प्रयागराज : कोरोना संक्रमण के कारण अप्रैल से इलाहाबाद हाईकोर्ट का काम प्रभावित है। इस दौरान सिर्फ महत्वपूर्ण केसों की सुनवाई हुई। इधर, अनलॉक घोषित है, लेकिन भयावह स्थिति कायम है।
इससे हाईकोर्ट में बंदिशों के बीच सुनवाई चल रही है। हाईकोर्ट में 93 कोर्ट में हैं, लेकिन सुनवाई आधी अदालतों में होती है। वकीलों का चेंबर अभी बंद है। सेनेटाइजेशन कराने को बीच-बीच में कोर्ट बंद करना पड़ता है। मौजूदा स्थिति से वकील चिंतित हैं। वे जरूरी बंदिशों के साथ नियमित सुनवाई चाहते हैं।इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रतिदिन 1200 के करीब मुकदमें दाखिल होते हैं। लेकिन, उसकी सुनवाई नियमानुसार नहीं हो पा रही है। आदर्श अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष शरद चंद्र मिश्र बताते हैं कि केस सुनने के लिए कोर्ट की संख्या कम है। ऊपर से मुकदमों का निर्धारित नियमानुसार नहीं हो रहा है। कुछ मुकदमें दाखिले के दिन, कुछ दाखिले के दो-तीन दिन बाद सुने जाते हैं। जबकि कुछ का नंबर दो-तीन महीने बाद आता है। कोर्ट में बुजुर्ग वकीलों का प्रवेश वर्जित है, वहीं वचरुअल सुनवाई की व्यवस्था दुरुस्त नहीं है। कहा कि गेट पर सेनेटाइज व थर्मल स्कैनिंग करके हर आयु के वकील को कोर्ट परिसर में प्रवेश दिया जाए। मुख्य न्यायाधीश से वकीलों का चेंबर खोलने व समस्त अदालतों में सुनवाई कराने की मांग की गई है। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष एसके गर्ग का कहना है कि हाईकोर्ट में साढ़े नौ लाख से अधिक मुकदमें लंबित हैं। विचाराधीन मुकदमों की संख्या को देखते हुए कोर्ट में नियमित सुनवाई की जरूरत है। वहीं, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरेंद्रनाथ सिंह कहते हैं कि इलाहाबाद हाईकोर्ट देश का अकेला हाईकोर्ट है जहां कोरोना संक्रमण काल में लगातार सुनवाई चली है। वचरुअल के साथ खुली अदालतों में केस सुने जा रहे हैं। लेकिन, कोरोना संक्रमण को लेकर जरूरी उपाय करते हुए सारी अदालतों में सुनवाई हो और वकीलों का चेंबर खुले उसके लिए मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा गया है। उस दिशा में जल्द सार्थक कदम उठाया जाए उस दिशा में प्रयास किया जा रहा है।