प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों को अवकाश के लिए घूस देना पड़ता है। घूस की रकम 500 से लेकर 2000 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से होती है। अवकाश के दिन और ज्यादा होने पर घूस की रकम बढ़ जाती है। बेसिक शिक्षा विभाग की रिपोर्ट में भी इसका खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में अवकाश के लिए शिक्षकों का शोषण होने की बात कही गयी है। बेसिक शिक्षा विभाग ने खुद इसका खुलासा किया है।
विभाग ने आईवीआरएस कॉल के जरिए प्रदेश के विभिन्न जिलों में तैनात शिक्षकों से बात की। कुल 12733 शिक्षकों से बात हुई। इसमें शिक्षकों से अवकाश स्वीकृत करने में विलंब व शोषण के संबंध में सवाल पूछे गए। इसमें से 1548 शिक्षकों ने स्पष्ट तौर पर शोषण की होने की बात कही। यह तक बताया कि बिना घूस दिए अवकाश नहीं मिलता। चिकित्सा अवकाश हो या बाल्यकाल देखभाल अवकाश, सभी के घूस के रेट तय हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जो शिक्षक अवकाश के लिए घूस नहीं देते उनके प्रार्थना पत्र अनावश्यक लंबित रखे जाते हैं। ब्लाकों के खंड शिक्षा अधिकारी घूस के बिना अवकाश के प्रार्थना पत्र देखते तक नहीं। हिंदुस्तान ने पड़ताल किया तो पता चला की जरूरत व अवकाश के दिनों के हिसाब से घूस के रेट तय होते हैं। अगर किसी नए भर्ती होने वाले शिक्षक- शिक्षिका को अपनी शादी के लिए एक हफ्ते का लगातार अवकाश चाहिए तो उसे दोगुना घूस देना पड़ता है। आम अवकाश के लिए जहां प्रतिदिन 500 से 1000 देने पड़ते हैं वही शादी समारोह, रिंग सेरिमनी, इंगेजमेंट जैसे कार्यक्रमों के लिए 2000 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से देने पड़ते हैं। बिना बीमारी के अगर कोई चिकित्सीय अवकाश लेता है तो उसे भी इसी हिसाब से घूस देना पड़ता है।
घूस के डर से आनलाइन आवेदन करने से डरते हैं शिक्षक
आईवीआरएस कॉल के जरिए यह भी पता चला की बड़ी संख्या में शिक्षक मानव संपदा पोर्टल पर अवकाश के लिए आनलाइन आवेदन नहीं कर रहे हैं। करीब 1118 शिक्षकों ने ऑनलाइन आवेदन नहीं किया। हिंदुस्तान को पड़ताल में पता चला कि यह शिक्षक घूस के डर की से अवकाश के लिए ऑनलाइन आवेदन नहीं करते। ऑनलाइन आवेदन करते ही खंड शिक्षा अधिकारियों को पता चल जाता है कि किस शिक्षक ने कितने दिन का अवकाश मांगा है।
शिक्षकों के शोषण की पुनरावृति हुई तो निर्धारित करेंगे उत्तरदायित्व
शिक्षकों के अवकाश में विलंब व शोषण के मामले की जानकारी से महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरण आनंद नाराज़ हैं। 2 दिसंबर को उन्होंने प्रदेश के सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर मामले में चेतावनी दी है। उन्होंने लिखा है कि आईवीआरएस में शिक्षकों के अवकाश स्वीकृत करने में अनावश्यक विलंब व शोषण की पुष्टि हुई है। ऐसी स्थिति की पुनरावृति दोबारा नहीं होनी चाहिए। अन्यथा की स्थिति में उत्तरदायित्व निर्धारित कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सुधांशु मोहन, जिलाध्यक्ष, उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ का कहना है कि अवकाश स्वीकृत करने के नाम पर अंधाधुंध घूस लिया जाता है। लखनऊ के ही कई ब्लाकों में बिना घूस के शिक्षकों के अवकाश नहीं स्वीकृत होते। प्रदेश के अन्य जिलों की स्थिति तो और भी खराब है। चयन वेतनमान, प्रोन्नति वेतनमान तथा एरियर भुगतान के लिए बीएसए व लेखाधिकारी कार्यालय में भी घूस लिया जाता है।
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