इलाहाबाद : डीएलएड (पूर्व बीटीसी) कालेजों में शिक्षकों को आधार से लिंक
कराने का आदेश कारगर रहा है। जो शिक्षक प्रदेश के कई कालेजों के अभिलेखों
में दर्ज रहे हैं, उनका गोरखधंधा उजागर हो इसके पहले ही शिक्षकों के नाम का
संशोधन कराने के आवेदन मिलना शुरू हो गए हैं।
साथ ही एनसीटीई ने निजी
कालेजों को मान्यता देने व मान्यता का नवीनीकरण कराने में आधार को अनिवार्य
किया है। इससे नए कालेजों में हेराफेरी पर अंकुश लग चुका है।
सूबे
में पिछले वर्षो में निजी डीएलएड कालेज बड़ी संख्या में खुले हैं। पिछले
शैक्षिक सत्र के दौरान इन कालेजों की तादाद 2818 रही है, जहां अभ्यर्थियों
की 50-50 सीटें हैं। शिक्षक पात्रता परीक्षा यानि टीईटी व डीएलएड सेमेस्टर
परीक्षा का परिणाम गिरने पर शासन व वरिष्ठ अफसरों ने निजी कालेजों के
पठन-पाठन पर गौर किया तो उन्हें सूचनाएं मिली कि कालेजों के पास योग्य
शिक्षक ही नहीं हैं। जो गिने-चुने शिक्षक हैं, वह कई-कई कालेजों के
अभिलेखों में दर्ज हैं। पढ़ाई न होने से परीक्षा का परिणाम गिरता जा रहा
है। इस पर अंकुश लगाने के लिए शिक्षकों को आधार से लिंक कराने के निर्देश
काफी पहले हुए थे। शुरुआत में कालेज संचालक दबी जुबान इसका विरोध करते रहे,
क्योंकि वह जानते थे कि ऐसा होने पर गोरखधंधा उजागर हो जाएगा। इसी बीच
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद यानि एनसीटीई ने भी नई कालेज की मान्यता और
पुराने कालेजों के नवीनीकरण में आधार नंबर को अनिवार्य कर दिया। यही नहीं
परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव डा. सुत्ता सिंह ने भी डायट प्राचार्यो को
कई पत्र भेजे कि वह अपने जिलों में कालेज शिक्षकों को आधार नंबर से
जुड़वाएं। सख्ती होने पर कालेज संचालकों ने परीक्षा नियामक प्राधिकारी
कार्यालय में शिक्षकों के नाम संशोधन के प्रस्ताव भेजना शुरू कर दिया है।
अब तक दर्जनों कालेजों के आवेदन मिल चुके हैं। ऐसे में आगे की पढ़ाई अब
बेहतर होने की उम्मीद जगी है। अफसरों का कहना है कि नई व्यवस्था में
कालेजों में पढ़ाई का माहौल बनेगा, क्योंकि पुराने कालेज पटरी पर आ रहे हैं
और नए कालेजों को पहले ही सही से प्रक्रिया पूरी करनी पड़ रही है।
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