उत्तर प्रदेश सरकार ने सूबे में प्रस्तावित 4000 शिक्षकों की भर्ती को मंगलवार (9 अक्टूबर) को रद्द कर दिया है। इस भर्ती का विज्ञापन समाजवादी पार्टी (एसपी) के शासनकाल में जारी हुआ था। बाद में प्रदेश में होने जा रही उर्दू की 4000 सहायक अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया की शुरुआत भी हो चुकी थी।
लेकिन अब योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने इन भर्तियों को रद्द कर दिया है। इस मसले पर योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री मोहसिन रजा का कहना है कि पिछली सरकार ने ये भर्तियां तुष्टिकरण के लिए निकाली थीं। प्रदेश में फिलहाल उर्दू शिक्षकों की जरूरत नहीं, बल्कि उर्दू के शिक्षक प्रदेश में आवश्यकता से ज्यादा हैं।
उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रभात कुमार के अनुसार सूबे में प्राथमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में उर्दू के करीब 87000 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। इन स्कूलों फिलहाल करीब 16000 उर्दू शिक्षक नियुक्त हैं।
योगी सरकार ने ऐसे में प्रत्येक पांच विद्यार्थी पर एक टीचर का हवाला देकर यह समाजवादी पार्टी के वक्त निकाली गई भर्ती को रद्द कर रही है।
जानकारी के अनुसार 15 दिसंबर 2016 को सपा सरकार ने ये 4000 पदों पर भर्तियां निकाली थीं। इसमें करीब 7500 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। जबकि 22-23 मार्च, 2017 को योगी सरकार आने के बाद इनकी काउंसिलिंग की गई।
लेकिन इसके बाद से यह ठप पड़ी हुई थी। अब इसे पूरी तरह से रद्द कर दिया गया है। इस पर योगी सरकार के मंत्री मोहसिन रजा ने सरकार की राय स्पष्ट की है। उन्होंने सपा सरकार पर तुष्टिकरण के लिए भर्ती का आरोप लगाते हुए कहा कि सूबे में पहले से ही उर्दू शिक्षकों की अधिकता है।
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