इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती में आर्थिक रूप से पिछड़े अभ्यर्थियों को आरक्षण का लाभ न देने को लेकर दाखिल याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने जवाब के लिए सरकार को तीन सप्ताह का समय दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने शिवम पांडेय व अन्य की याचिकाओं पर अधिवक्ता सीमांत सिंह व अन्य को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनकर दिया है।
अधिवक्ता सीमांत सिंह ने कहा कि 69 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन में आर्थिक रूप से पिछड़े अभ्यर्थियों को आरक्षण दिए जाने का कोई प्रावधान नहीं है। जबकि आर्थिक आरक्षण 13 अगस्त 2019 को ही लागू किया जा चुका है। इसके अलावा भर्ती प्रक्रिया बेसिक शिक्षा सेवा नियमावली 1981 के नियम नौ के तहत की जा रही है, जिसमें स्पष्ट प्रावधान है कि भर्ती के समय लागू आरक्षण नियमों व शासनादेशों का पालन किया जाएगा। एडवोकेट सीमांत सिंह का कहना था कि संसद ने संविधान के अनुच्छेद 16 में 103वें संशोधन के जरिए आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का प्रावधान जोड़ा है। इसके बावजूद इस भर्ती में आर्थिक आधार पर आरक्षण नहीं देने से अभ्यर्थियों के संवैधानिक अधिकार का हनन हो रहा है।
69 हजार शिक्षक भर्ती के लिए केवल आवेदन की तारीख बढ़ी, अन्य प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं
शिक्षक भर्ती में 1.35 लाख अभ्यर्थियों ने भरा ऑनलाइन आवेदन
शासनादेश संख्या - 391/68-5-2020 दिनाँक 26.05.2020 द्वारा ऑनलाइन आवेदन भरने की अंतिम तिथि 28.05.2020 रात्रि 12 बजे तक बढ़ा दी गयी है.
69000 शिक्षक भर्ती में आवेदन अब 28 मई तक
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13 अगस्त 2019 के शासनादेश में स्पष्ट है कि आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को सभी सरकारी नौकरियों की सीधी भर्ती में दस प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। कोर्ट ने इस मामले को विचारणीय मानते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
दूसरी सुनवाई ’ आर्थिक आधार पर आरक्षण नहीं देने से संवैधानिक हक हनन हो रहा ’ जवाब के लिए सरकार को तीन सप्ताह का समय दिया
अधिवक्ता सीमांत सिंह ने कहा कि 69 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन में आर्थिक रूप से पिछड़े अभ्यर्थियों को आरक्षण दिए जाने का कोई प्रावधान नहीं है। जबकि आर्थिक आरक्षण 13 अगस्त 2019 को ही लागू किया जा चुका है। इसके अलावा भर्ती प्रक्रिया बेसिक शिक्षा सेवा नियमावली 1981 के नियम नौ के तहत की जा रही है, जिसमें स्पष्ट प्रावधान है कि भर्ती के समय लागू आरक्षण नियमों व शासनादेशों का पालन किया जाएगा। एडवोकेट सीमांत सिंह का कहना था कि संसद ने संविधान के अनुच्छेद 16 में 103वें संशोधन के जरिए आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का प्रावधान जोड़ा है। इसके बावजूद इस भर्ती में आर्थिक आधार पर आरक्षण नहीं देने से अभ्यर्थियों के संवैधानिक अधिकार का हनन हो रहा है।
13 अगस्त 2019 के शासनादेश में स्पष्ट है कि आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को सभी सरकारी नौकरियों की सीधी भर्ती में दस प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। कोर्ट ने इस मामले को विचारणीय मानते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
दूसरी सुनवाई ’ आर्थिक आधार पर आरक्षण नहीं देने से संवैधानिक हक हनन हो रहा ’ जवाब के लिए सरकार को तीन सप्ताह का समय दिया