69000 शिक्षक भर्ती में प्रतापगढ़ की प्रतिभा मिश्रा का सीतापुर के लिए चयन हुआ था, लेकिन काउंसिलिंग के समय आवेदन पत्र में प्राप्तांक अधिक होने पर उनकी नियुक्ति रोक दी गई। सीतापुर की बबली पाल का भी चयन हुआ था, लेकिन प्राप्तांक अधिक अंकित करने से उनकी भी नियुक्ति रोक दी गई है। ऐसी त्रुटियों के चलते चयन से बाहर हुए तमाम अभ्यर्थी त्रुटि सुधार की मांग के लिए बीते 7 दिसंबर से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन समस्या का निस्तारण नहीं हुआ। हालांकि बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री का कहना है कि एक-एक प्रकरण पर विचार किया जा रहा है।
भीषण सर्दी मेें निशातगंज स्थित एससीईआरटी कार्यालय पर सौ से अधिक महिलाएं और करीब चार सौ से अधिक पुरुष अभ्यर्थी नियुक्ति के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इनमें कई महिलाएं अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ मांग को लेकर डटीं हैं। वहीं, लगातार प्रदर्शन और अनशन से कुछ अभ्यर्थियों की तबीयत भी खराब हुई है। अभ्यर्थियों का प्रतिनिधि मंडल रोजाना निदेशालय से लेकर शासन तक चक्कर लगा रहा है, लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं हो रहा है।
अभ्यर्थियों के मुताबिक जिलों में हुई काउंसिलिंग के दौरान चयनितों के आवेदन में प्राप्तांक अधिक एवं पूर्णांक कम अंकित करने के मामले सामने आए। कई मामले ऐसे भी सामने आए जिनमें पुरुष अभ्यर्थी ने महिला और महिला अभ्यर्थी ने पुरुष अंकित कर दिया। बड़ी संख्या में ऐसे भी मामले सामने आए जिन्होंने शिक्षामित्र नहीं होने के बावजूद विशिष्ट बीटीसी अंकित किया था, लिहाजा उन्हें शिक्षामित्र को मिलने वाले भारांक मिल गए। सभी जिलों में बीएसए ने ऐसे मामलों में चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने से इनकार कर दिया। पूरे प्रदेश में करीब आठ सौ ऐसे मामले सामने आए हैं।
फीमेल की जगह मेल भरना पड़ा भारी
बाराबंकी की शची रस्तोगी ने बताया कि सहायक अध्यापक भर्ती में उनका चयन हुआ है। महिला की जगह पुरुष श्रेणी अंकित क रने की छोटी सी गलती से उन्हें नियुक्ति नहीं दी जा रही है। रोजाना सुबह से शाम तक धरना देने के बाद शाम को रैन बसेरे या किसी रिश्तेदार के यहां जाना पड़ता है। एक महीने में कई बार तबीयत खराब हुई, लेकिन नौकरी पाने की मजबूरी के आगे सब सहन कर रहे हैं।
अंक इधर-उधर होने से भविष्य पर तलवार
प्रयागराज की ममता सुमन ने प्राप्तांक में 248 की जगह 284 भर दिया, महज एक अंक गलत टाइप होने से उनकी नियुक्ति रोक दी गई है। सुमन ने कहा कि 248 प्राप्तांक के बाद भी उनका चयन प्रभावित नहीं हो रहा है। शासन को सहानुभूति पूर्वक ऐसे मामलों पर विचार करना चाहिए।
पूर्णांक कम करना भारी पड़ा
मथुरा के अनिल कुमार का भी गृह जिले में ही चयन हुआ है। लेकिन पूर्णांक कम अंकित करने से उनकी नियुक्ति रोक दी गई है। उन्होंने कहा कि शासन से भी क ई बार आदेशों में मानवीय त्रुटि होती है, जिसका सुधार किया जाता है। ऐसे में अभ्यर्थियों को भी मौका देना चाहिए। अगर छोटी-छोटी त्रुटियों को सुधारने का अवसर देने से युवाओं का भविष्य संवरता है तो सरकार को क्या दिक्कत है।
इनका कहना है
अभ्यर्थियों के प्रति सरकार का रुख सहानुभूति पूर्ण
सहायक अध्यापक भर्ती के चयनित अभ्यर्थियों के आवेदन पत्रों मे त्रुटियां मिलने पर नियुक्ति रोकी गई थी। लेकिन ऐसे सभी मामलों में बीएसए से रिपोर्ट मांगी गई है। शासन स्तर पर एक-एक अभ्यर्थी के मामले में विचार किया जा रहा है। इसके बाद प्रत्येक मामले में विधि विभाग की राय ली जाएगी। अभ्यर्थियों के प्रति सरकार का रुख सहानुभूति पूर्ण है। हमारा प्रयास है कि कोई भी चयनित अभ्यर्थी नियुक्ति से वंचित नहीं रहे। प्रकरण अधिक होने से उनके निस्तारण में समय लग रहा है।
- सतीश चंद्र द्विवेदी, बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री