आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए नए पाठ्यक्रम 'प्रारंभिक बाल्यावस्था, देखभाल और शिक्षा' का शुभारंभ सोमवार को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने बीएचयू के विज्ञान संकाय सभागार में किया। तीन साल से छह साल तक के बच्चों
के लिए तीन खंडों में बने इस पाठ्यक्रम को पॉयलट प्रोजेक्ट के तहत सेवापुरी ब्लाक के आंगनबाड़ी केंद्रों में शुरू किया जाएगा। यहां तीन से छह माह का शिक्षण देने के बाद इसे राज्य में लागू करने का प्रस्ताव राज्रू सरकार को दिया जाएगा। इसके बाद यह पाठ्यक्रम प्रदेश के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर संचालित होगा।चार दिवसीय दौरे के पहले दिन राज्यपाल ने बीएचयू में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के तीन दिन के प्रशिक्षण कार्यक्रम में नए पाठ्यक्रम की पुस्तिका का भी विमोचन किया। यह विद्याभारती की ओर से तैयार किया गया है। इसमें बच्चों के लिए कविताएं, खेल के साथ मोरल साइंस समेत अन्य मनोरंजन विषयों को समावेश किया गया है। ताकि बच्चों को पढ़ने के प्रति लगाव हो सके। अभी तक आंगनबाड़ी केंद्र पर केवल पहल नाम की एक पुस्तिका से पढ़ाया जाता था।
बच्चों में शुरुआती शिक्षा सांस्कारित होनी चाहिए
राज्यपाल ने आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों से कहा कि नई शिक्षा नीति में बहुत बल है। इसमें चार वर्ष, चार से पांच व 5 से 6 वर्ष की शिक्षा आंगनबाड़ी केंद्र का भाग है। भारत का भविष्य बनाने के लिए नन्हे-मुन्नों को संस्कारित शिक्षा दी जानी चाहिए। बच्चे को 8 वर्ष तक जो सिखाया व पढ़ाया जाता है, उसका 80 फीसदी उनकी आदत में ढल जाती है। इसलिए प्रारंभिक शिक्षा अतिमहत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि आंगनवाड़ी में आने से पहले बच्चे अपने घर में देखी, सुनी हुई चीजों व व्यवहार को लेकर आंगनबाड़ी में आते हैं। इसलिए आंगनबाड़ी को बच्चे के अंदर की कमियों को दूर कर उसी के अनुरूप बात, व्यवहार, पढ़ाई, खेल आदि क्रियाकलाप करें।