है। कोर्ट ने पूछा है कि एनसीटीई की गाइडलाइंस के उलट सरकार एक और पात्रता परीक्षा कैसे करा सकती है।
इस मामले पर शुक्रवार को फिर सुनवाई होगी। बता दें कि विद्याचरण शुक्ला की याचिका पर चीफ जस्टिस डीबी भोसले और जस्टिस सुनीत कुमार की खण्डपीठ ने मामले की सुनवाई की।
'केंद्र सरकार को है अधिकार'
याचिका में कहा गया है कि अनिवार्य शिक्षा कानून 2009 की धारा 23 के तहत केंद्र सरकार के ऐकडमिक अथॉरिटी को ही शिक्षकों की योग्यता और गाइडलाइन तय करने का अधिकार है। राज्य सरकार को गाइडलाइन बनाने और आवश्यक अर्हता तय करने का अधिकार नहीं है। साथ ही यह भी कहा गया कि बिना अधिकार के राज्य सरकार ने शिक्षकों की भर्ती के लिए नियमावली में संशोधन किया है, जो कानूनन गलत है। एनसीटीई द्वारा निर्धारित गाइडलाइन और न्यूनतम अर्हता का पालन करना सभी राज्यों के लिए अनिवार्य है।
सभी याचिकाओं पर शुक्रवार को होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने न्यूनतम अर्हता न रखने के कारण शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन रद्द करते हुए लगातार 2 वर्षों में टीईटी परीक्षा पास करने का समय दिया है। कहा गया है कि सरकार द्वारा शिक्षकों की भर्ती विज्ञापन से सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी होगी। यह भी कहा गया कि सरकार ने इस परीक्षा को पास करने के लिए न्यूनतम अंकों की बाध्यता तय की है। कोर्ट ने कहा कि वह शुक्रवार को इस मामले को लेकर दाखिल सभी याचिकाओं पर एकसाथ सुनवाई करेगी।