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68500 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा उत्तीर्ण करने वालों का अब शिक्षक बनना तय, तीन बार उत्तीर्ण प्रतिशत में हुआ बदलाव, हर बार घटते गए अंक: शिक्षामित्रों को मिली बड़ी राहत

इलाहाबाद : सुप्रीम कोर्ट के आदेश से जिन शिक्षामित्रों का समायोजन रद हो चुका है, यदि वह 27 मई को होने वाली शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में दावेदार हैं तो शिक्षक बनना तय है।
परीक्षा उत्तीर्ण करते ही नियुक्तियों से पहले सरकार उन्हें मिलने वाले भारांक यानि वेटेज अंक का एलान करेगी। यह अंक ही नियुक्ति दिलाने में कारगर होंगे। लिखित परीक्षा में उम्दा अंक पाने वालों से मुकाबला करने में भी यह सहायक होंगे।

तीन बार उत्तीर्ण प्रतिशत में हुआ बदलाव, हर बार घटते गए अंक
शिक्षामित्रों को भारांक यानि वेटेज अंक आसानी से मुकाबले में लाएंगे

बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत एक लाख 37 हजार शिक्षामित्रों का समायोजन सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई 2017 को रद कर दिया था। इससे आहत शिक्षामित्रों ने आंदोलन-प्रदर्शन किया। शिक्षामित्र चाहते थे कि सरकार अध्यादेश लाकर उन्हें नियमित कर दें। योगी सरकार ने उन्हें नियमानुसार नियुक्ति दिलाने का रास्ता चुना। यही वजह है कि शीर्ष कोर्ट के निर्देश पर शिक्षामित्रों को दो अवसर देने की बारी आई तो नियमों में कई बार बदलाव हुए। 68500 सहायक अध्यापक भर्ती 2018 में उत्तीर्ण प्रतिशत पहले शिक्षक पात्रता परीक्षा के बराबर तय किया गया था। अफसरों ने तर्क दिया कि पहली से दूसरी परीक्षा को कठिन नहीं कर सकते तो उत्तीर्ण प्रतिशत उसके बराबर रखना चाहिए। ऐसे में सामान्य व ओबीसी का 60 और एससी-एसटी का 54.66 अंक तय हुआ। शिक्षामित्रों ने इसका विरोध किया तो सरकार ने संशोधन करके सामान्य, ओबीसी का 45 व एससी-एसटी का 40 फीसदी अंक किया गया। इन अंकों पर भी शिक्षामित्र नाखुश दिखे तो सरकार ने तीसरा बदलाव किया, इसमें सामान्य, ओबीसी 33 व एससी-एसटी 30 फीसदी अंक पाकर उत्तीर्ण होंगे। 1प्रतियोगी और शिक्षामित्र तक इस अंक प्रतिशत को लेकर हैरान हैं, क्योंकि अब परीक्षा उत्तीर्ण करना बेहद आसान हो गया है। यदि कोई शिक्षामित्र परीक्षा भर पास कर लेता है तो वह भारांक से नियुक्ति की मेरिट तक आसानी से पहुंच जाएगा, जबकि अन्य अभ्यर्थी सामान्य अंकों से उत्तीर्ण हुए तो उनकी नियुक्ति तभी हो सकेगी, जब मेरिट काफी नीचे आ जाए। ऐसे में अब अन्य अभ्यर्थियों के सामने लिखित परीक्षा को अच्छे अंकों से उत्तीर्ण करने की चुनौती बढ़ गई है।’

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