राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय से मिली पीएचडी की डिग्री को केंद्र
और राज्य सरकार के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की शिक्षक भर्ती में मान्य
नहीं किया जा रहा है। डिग्रीधारकों को नेट की अनिवार्य अर्हता से यह कहते
हुए छूट नहीं दी जा रही है कि दूरस्थ माध्यम से दी जाने वाली पीएचडी डिग्री
मान्य नहीं है।
पीएचडी डिग्रीधारकों ने यूजीसी और यूपी के राज्यपाल से गुहार लगाई है। इनका
कहना है कि मुक्त विवि ने पीएचडी की डिग्री यूजीसी के नियमों के मुताबिक
दी है। राज्यपाल राम नाईक ने मुक्त विवि की ओर से आयोजित दीक्षांत समारोह
में डिग्रियां वितरित की हैं। इसलिए इसे न मान कर यूजीसी और राज्यपाल की भी
अवहेलना की जा रही है।
उत्तर प्रदेश पुस्तकालय संघ की ओर से चंद्रशेखर आजाद पार्क में आयोजित बैठक
में मौजूद पीएचडी डिग्रीधारकों ने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय और इससे
संबद्ध डिग्री कॉलेजों की शिक्षक भर्ती में मुक्त विवि की डिग्री को
अस्वीकार कर दिया गया। इसकी शिकायत मुक्त विवि के कुलपति से की गई लेकिन
उनके स्तर से कोई कदम नहीं उठाए गए। बैठक के माध्यम से राज्यपाल और यूजीसी
से इस मामले में हस्तक्षेप करने की गुहार की गई।
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