डीएलएड 2020-21 को लेकर असमंजस अब भी बना हुआ है। परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने डीएलएड 2021-22 की प्रवेश प्रक्रिया मार्च 2021 से शुरू करने का प्रस्ताव भेजा है। प्रदेश में डीएलएड की लगभग 2.50 लाख सीटें हैं। वहीं अध्यापक पात्रता परीक्षा भी फरवरी के अंत में करवाई जा सकती है। टीईटी का इंतजार युवा बेसब्री से कर रहे हैं क्योंकि सरकारी प्राइमरी स्कूलों में लगभग 51 हजार पद खाली हैं जिन्हें राज्य सरकार जल्द ही भरना चाह रही है।
परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने शासन को भेजे अपने प्रस्ताव में मौजूद सत्र के डीएलएड 2020-21 की प्रवेश प्रक्रिया अब शुरू करने पर आने वाली दिक्कतों को बताया है। यदि अब प्रवेश शुरू होता है और कक्षाएं एक जुलाई से शुरू हो जाती हैं तो 2021-22 के सत्र के लिए विद्यार्थी नहीं मिलेंगे क्योंकि तब तक विश्वविद्यालयों में स्नातक की परीक्षाएं नहीं होंगी। वहीं डीएलएड की कक्षाएं एक जुलाई से शुरू करने की अनिवार्यता के कारण इसे विलम्ब से भी शुरू नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के मुताबिक डीएलएड का सत्र नियमित करने के लिए एक जुलाई से अनिवार्य रूप से कक्षाएं शुरू होनी हैं। तीन चार सालों की कवायद के बाद अब डीएलएड का सत्र पटरी पर आया है। ऐसे में देर से सत्र शुरू होने पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवमानना होगी और इस सत्र के लिए प्रवेश लेने पर अगले सत्र के लिए विद्यार्थी मिलने में मुश्किल होगी। अब इस पर शासन को फैसला लेना है कि वह डीएलएड 2020-21 के सत्र को शून्य करती है या नहीं। हालांकि निजी कॉलेजों के प्रबंधतंत्र सरकार पर लगातार प्रवेश को लेकर दबाव बना रहे हैं। वहीं टीईटी को लेकर परीक्षा नियामक प्राधिकारी प्रस्ताव तैयार कर रहा है और फरवरी के अंत में परीक्षा करवाने का प्रस्ताव शासन को भेजेगा।