सरकारी स्कूल का नाम सुनते ही लोग बहुत अच्छी प्रतिक्रिया नहीं देते। आजकल यही माना जाता है कि इन स्कूलों में आíथक रूप से कमजोर तबके के बच्चे ही पढ़ते हैं। अगर हम आपसे कहें कि एक सरकारी स्कूल ऐसा भी है, जहां दाखिले के लिए सिफारिश लगती है तो शायद आप यकीन न करें, लेकिन यह सच है। इस सच को साकार करने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है शिक्षिका स्नेहिल पांडेय ने।
यह स्कूल है उन्नाव के सोहरामऊ स्थित इंग्लिश मीडियम प्राथमिक विद्यालय। यहां का कायाकल्प करने का श्रेय सरोजनीनगर इलाके में रहने वाली प्रधान शिक्षिका स्नेहिल पांडेय को जाता है। स्नेहिल ग्रामीण इलाकों में परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले ऐसे बच्चों को तकनीकी रूप से हाईटेक बना रही हैं, जिन्हें दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं है। स्नेहिल ने स्कूल को अपने वेतन से सजाने-संवारने के साथ ही पौधरोपण कर हरियाली से आच्छादित किया है। स्नेहिल पांडेय सबसे कम उम्र की शिक्षिका हैं, जिन्हें राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
स्नेहिल ने अपने वेतन से विद्यालय की बाउंड्रीवाल ऊंची कराई। रंग-रोगन के साथ ही 250 से अधिक पौधे लगाकर उसे हरा-भरा बनाया। इसके साथ ही टेक्नोलॉजी के माध्यम से गूगल मीट या अन्य प्लेटफॉर्म द्वारा बच्चों को स्मार्टफोन के माध्यम से अपनी आवाज में बनाए गए यूट्यूब चैनल के माध्यम से पढ़ाती हैं। स्नेहिल बताती हैं कि बच्चों के प्रति उन्हें शुरू से ही लगाव था। उनकी मां सुधा शुक्ला भी शिक्षिका रही हैं। मां ही उनकी प्रेरणास्नोत हैं।
स्नेहिल पांडेय नवाचारों से प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों को दे रहीं शिक्षा, विद्यालय में लगा दिया वेतन
अपने वेतन के रुपयों से छात्रओं के लिए खरीदी गई साइकिल वितरित करतीं शिक्षिका स्नेहिल पांडेय ’ जागरण
स्नेहिल को यह मिले सम्मान
2015 और 2019 में उत्कृष्ट विद्यालय पुरस्कार सम्मान मिला। इसमें से एक लाख बीस हजार रुपये उन्होंने विद्यालय के उच्चीकरण और बच्चों के लिए शैक्षिक उपकरण खरीदने में लगाए।
2019 में राज्यस्तरीय काव्य गायन पुरस्कार सम्मान।
आइसीटी के लिए भी राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार सम्मान मिला। एग्जिबिशन में आइसीटी स्टाप का प्रतिनिधित्व करने हेतु।
मिशन शक्ति की ब्रांड एंबेसडर
स्नेहिल प्रदेश सरकार की योजना मिशन शक्ति की ब्रांड एंबेसडर भी हैं। 75 जिलों में लगे बैनर और पोस्टर में उनकी तस्वीर लगाई गई है। स्नेहिल जागरूक माताओं को अपने यहां विद्यालय में समाचार पत्र आदि पढ़ने के लिए बुलाती हैं तथा उनको शिक्षा के लिए प्रेरित कर रही हैं।