माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद प्रदेश सरकार द्वारा गठित मान्य शिक्षा बोर्ड है। प्रदेश भर में संचालित माध्यमिक स्तर के संस्कृत विद्यालय इससे जुड़े हुए हैं। लाखों बच्चे यहां से शिक्षा पा चुके और हजारों अभी पा
रहे हैं। इसके बावजूद अभी तक नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) की मान्य शिक्षा बोर्ड की सूची में इसे जगह नहीं मिल पाई है। प्रदेश के सिर्फ माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) को ही इस सूची में जगह दी गई है। इसका खामियाजा संस्कृत बोर्ड में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को उठाना पड़ रहा है। केन्द्र सरकार की किसी भी सेवा में आवेदन के समय इन्हें दिक्कतें आ रही हैं। अभ्यर्थियों का कहना है कि इसके चलते कई बार आवेदन निरस्त तक हो रहे हैं।माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद का गठन करीब डेढ़ दशक पहले किया गया था। इसका कार्यालय लखनऊ में ही है। भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद इस परिषद की स्थिति में बदलाव की प्रक्रिया शुरू हुई। अभी तक पूरी तरह से ऑफलाइन चल रहे इस शिक्षा बोर्ड को ऑनलाइन किया गया। जिसके चलते इनके नाम पर होने वाले फर्जीवाड़ों पर लगाम लगाई जा सकी। लेकिन, एनआईओएस की मान्य शिक्षा बोर्ड की सूची में अभी तक यह जगह नहीं बना सका है।
माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद के सचिव दीप चन्द ने बताया कि उनके स्तर पर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसी का नतीजा है कि बोर्ड को लेकर स्वीकारोक्ती बढ़ी है। उन्होंने बताया कि किसी भी सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों से सत्यापन के लिए दस्तावेज आने पर बोर्ड के गठन से लेकर अन्य दस्तावेज उपलब्ध करा दिए जाते हैं। ताकी किसी भी छात्र को परेशानी न हो। उधर, उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष डॉ. वाचस्पति मिश्र ने बताया कि उनके स्तर पर इस संबंध में वार्ता की गई है। छात्रहित को ध्यान में रखते हुए कदम उठाए जा रहे हैं।