योगी सरकार ने खोला भर्तियों का पिटारा, 53 हजार से अधिक पदों की भर्ती प्रक्रिया पर मुहर

 योगी सरकार ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका के 53 हजार से अधिक पदों की भर्ती प्रक्रिया पर मुहर लगाकर युवा चेहरों में नई चमक ला दी है। बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग ने चयन प्रक्रिया तय होने का आदेश भी जारी कर दिया है। अब जिलाधिकारी की देखरेख में जिला स्तरीय चयन समिति अभ्यर्थियों का चयन करेगी। जिले में तैनात समूह ‘क’ व ‘ख’ संवर्ग की महिला अफसरों को भी पहली बार चयन समिति में


सदस्य बनाया जाएगा। आंगनबाड़ी सुपरवाइजर और क्लर्क के करीब 33 सौ पदों पर भर्तियों का रास्ता भी साफ हो चुका है। ये भíतयां 15 साल से अटकी हुई थीं। इससे योगी सरकार की रोजगार के प्रति संवेदनशीलता ही परिलक्षित होती है। सरकार चार साल में 15 लाख से अधिक को निजी क्षेत्र और करीब डेढ़ करोड़ लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने का दावा कर चुकी है। पुलिस विभाग में 1.37 लाख और करीब एक लाख सहायक अध्यापकों की भर्तियां भी पूरी हो चुकी हैं। पहली बार 516 महिलाओं का नलकूप चालक के पद पर चयन किया गया है। सरकार ने चार वर्ष में चार लाख नौजवानों को रोजगार मुहैया कराने का लक्ष्य रखा है। मुख्यमंत्री प्रदेश में ऐसा रोजगार आयोग बनाने की मंशा जाहिर कर चुके हैं, जो हर घर से एक युवा को नौकरी दिला सके। ठीक उसी तरह की गारंटी हो, जैसे कि मनरेगा के तहत मजदूरों को मिल रही है। आयोग का कार्यक्षेत्र भी इतना व्यापक सोचा गया है कि यह रोजगार के अवसरों पर तो नजर रखे ही, प्रशिक्षण दिलाकर देश-विदेश तक नौकरी भी सुनिश्चित कराए। बैंकों से ऋण दिलाकर उद्यम लगवाए। आयोग गठन को अमलीजामा पहनाने से पहले भी सरकार भर्तियां करती चल रही है। क्षैतिज आरक्षण का निर्धारण कर दिए जाने से एडेड डिग्री कॉलेजों में शिक्षकों की भर्ती का बहुप्रतीक्षित रास्ता भी साफ हो चुका है। वैसे, सरकारी आंकड़ा भी है कि सितंबर-20 तक विभिन्न विभागों में 1.20 लाख पद रिक्त थे। साफ है कि मुख्यमंत्री के पिटारे में नौकरी देने के ढेरों अवसर हैं, जरूरत है युवाओं को प्रतियोगी परीक्षा की डटकर तैयारी करने की।