संदिग्ध या फर्जी शिक्षकों के प्रमाणपत्रों के सत्यापन का खर्चा अब आकस्मिक (कंटिन्जेंसी) मद से किया जाएगा। वहीं नए नियुक्त होने वाले शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच के लिए भी विभाग पैसा खर्च करेगा। कई जिलों में जांच प्रक्रिया सत्यापन के शुल्क के कारण अटक गई थी। लिहाजा कई जिलों ने इस संबंध में शासन से मार्गदर्शन मांगा था। माध्यमिक शिक्षा विभाग में सत्यापन का खर्चा शिक्षकों से लिया जा रहा है।
महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने इस संबंध में सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिख कर कहा है कि प्रति विकासखण्ड 50 हजार रुपये तक इस पर खर्च किए जा सकते हैं। यदि किसी ब्लॉक में इससे ज्यादा खर्च हो तो अतिरिक्त खर्च किसी ऐसे ब्लॉक से समायोजित किया जाएगा, जहां कम पैसा खर्च हो रहा हो। विभिन्न विवि सत्यापन के लिए अलग-अलग शुल्क लेते हैं। इलाहाबाद विवि, राजर्षि टण्डन मुक्त विवि, नेहरू ग्राम भारती विवि, प्रयागराज, सैम हिंगिसबॉटम विवि 500-500 रुपये और छत्रपति शाहूजी महाराज विवि-कानपुर ने 300 रुपये शुल्क ले रहे हैं। इसी तरह अन्य विवि के शुल्क भी अलग-अलग है।
जुलाई, 2020 में कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में फर्जी शिक्षकों के तैनात होने का मामला सामने आने के बाद सरकार ने सभी प्राइमरी व माध्यमिक स्कूलों में तैनात शिक्षकों व शिक्षामित्रों के प्रमाणपत्र सत्यापन के आदेश दिए थे। इसमें मामला संदिग्ध आने पर प्रमाणपत्रों के सत्यापन संबंधित विवि से करवाया जाना है।