दो साल की जद्दोजहद के बाद नौकरी मिली। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग से एलटी ग्रेड में संस्कृत विषय में सहायक अध्यापक के पद पर चयन हुआ। अक्तूबर 2020 में नियुक्ति पत्र मिला लेकिन जब नियुक्ति पत्र लेकर आलोक शुक्ला अमेठी के राजकीय हाईस्कूल, इन्हौना कार्यभार ग्रहण करने पहुंचे तो पता चला कि इस नाम का तो कोई स्कूल वहां है ही नहीं।
इसी तरह वंदना रानी गुप्ता भी जीजीआईसी-सलेमपुर देवरिया पहुंची तो पता चला कि यहां जीवविज्ञान की शिक्षिका 2015 से काम कर रही हैं। लिहाजा पद रिक्त ही नहीं। मजे की बात यह है कि इसी स्कूल में सात विषयों में पद रिक्त हैं और सिर्फ जीवविज्ञान, गणित व अंग्रेजी विषय की शिक्षिकाएं ही हैं। वंदना और आलोक शुक्ला की तरह लगभग दो दर्जन शिक्षक ऐसे हैं जो अभी तक कार्यभार ग्रहण नहीं कर पाए हैं। कहीं स्कूल का नाम गलत है तो कहीं एक ही रिक्त पद पर दो शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दे दिया गया है या फिर पद रिक्त है नहीं।
ऑनलाइन हुई थी तैनाती
अक्तूबर 2020 में 10768 एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती में चयनित शिक्षकों को अक्तूबर 2020 में नियुक्ति पत्र दिए गए थे। नियुक्ति पत्र ऑनलाइन ही दिए गए थे। विभाग ने दावा किया था कि तैनाती में विभागीय दखल खत्म किया गया है और सॉफ्टवेयर की मदद से स्कूल आवंटन किया गया है लेकिन अब ये नवनियुक्त शिक्षक भटक रहे हैं और इनकी सुनवाई नहीं हो रही है। बिन्देश कुमार पाल, राजेश कुमार मौर्य, सुनील कुमार, सुनीता, संगीता पटेल, सुशील कुमार, अशोक कुमार यादव, शिवेन्द्र तिवारी, राजेश कुमार समेत कई अभ्यर्थी हैं जो डीआईओएस से लेकर निदेशालय तक के चक्कर काट रहे हैं।
पारसनाथ पाण्डेय (प्रदेश अध्यक्ष, राजकीय शिक्षक संघ) ने कहा, ये शिक्षक लोक सेवा आयोग से चयनित हैं। इनकी लम्बी जांच करवाई गई लेकिन अब विभागीय लापरवाही के कारण इन्हें भटकना पड़ रहा है। हमने अपर मुख्य सचिव से मुलाकात कर समस्या को सामने रखा है।