प्रयागराज : प्रदेश के 4500 से अधिक अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में प्रशिक्षित स्नातक (टीजीटी) कला और प्रवक्ता (पीजीटी) कला की भर्ती में आवेदन से वंचित बीएफए, एमएफए, बैचलर इन ड्राइंग एंड पेंटिंग, बैचलरइन विजुअल आर्ट्स जैसे उच्चयोग्यताधारी चित्रकारों ने अपने गोल्ड मेडल और राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्राप्त पुरस्कारों को वापस करने की तैयारी कर ली है।
इन युवाओं का कहना है कि गोल्ड मेडल या पुरस्कारों का क्या करेंगे जब जीवन यापन के लिए नौकरी ही नहीं मिलनी । उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने 29 अक्तूबर को टीजीटी पीजीटी 2020 की भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी। हालांकि तकनीकी कारणों से 18 नवंबर को विज्ञापन निरस्त करना पड़ा था और जल्द ही दोबारा विज्ञापन जारी होने की उम्मीद है।
इस भर्ती में कला विषय के शिक्षकों की भर्ती के लिए अप्रासंगिक हो चुके पाठ्यक्रमों को तो मान्य किया गया है । लेकिन बीएचयू, लखनऊ विवि, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, अलीगढ़ मुस्लिम विवि दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विवि, छत्रपति शाहूजी महाराज विवि कानपुर और डॉ भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा जैसे उच्च शिक्षण संस्थानों में संचालित पाठयक्रम करने वाले युवाओं को बाहर कर दिया गया है।
बीएचयू के अखिलेश बाजपेई का कहना है कि भर्ती में शामिल होने के लिए उच्च शैक्षणिक योग्यताधारी अभ्यर्थी तकरीबन तीन महीने से विभिन्न स्तर पर अपनी मांग रख रहे हैं । ट्वीटर पर भी जस्टिस फॉर फाइन आर्ट्स हैशटैग से अभियान चला रहे हैं । लेकिन सुनवाई नहीं हो रही अंत में हारकर युवाओं ने अपने मेडल और पुरस्कार वापस करने का निर्णय लिया है।
कला अकादमी के पुरस्कार वापस करने को तैयार
भारतीय विश्वविद्यालय संघ द्वारा तीन बार क्षेत्रीय व दो बार राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार प्राप्त अखिलेश कुमार, राज्य ललित कला अकादमी से सम्मानित सुनील पटेल, अंजलि व साधना, बीएचयू से गोल्ड मेडलिस्ट पंकज शर्मा व देवता प्रसाद मौर्य, लखनऊ विवि से गोल्ड मेडलिस्ट योगेश प्रजापति, मानव संसाधन विकास मंत्रालय से पुरस्कृत संदीप प्रजापति व अरुण कुमार मौर्य आदि का कहना है दोबारा विज्ञप्ति आने से पूर्व अगर संशोधन ना हुआ तो पुरस्कार वापसी के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।