यूपी में शिक्षकों की सैलरी इन्क्रीमेंट और प्रमोशन का बदला नियम, जानिए क्या है नई शर्ते

 अब शिक्षकों की वेतनवृद्धि व प्रोन्नति या अन्य लाभों को उनके प्रदर्शन से जोड़ा जाएगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत इसे यूपी की कार्ययोजना में शामिल किया गया है। शिक्षकों को आईआईएम, आईआईटी, बनारस हिन्दू विवि जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से प्रशिक्षण दिलवाया जाएगा। वहीं ओडीओपी को व्यावसायिक शिक्षा में शामिल किया जाएगा। कक्षा नौ से 12 तक व्यावसायिक ट्रेड की पढ़ाई अनिवार्य की जाएगी।



2022-23 से न्यूनतम 100 स्कूल प्रधानाध्यापकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। ये मास्टर रिसोर्स पर्सन के रूप में काम करेंगे। इसके अलावा हर वर्ष शिक्षकों को 50 घण्टे का प्रशिक्षण देने की योजना है। शिक्षकों को स्वतंत्र रूप से काम करने के लिए राज्य स्तर से समयसारिणी या अन्य चीजें भेजने पर रोक लगाने को भी कार्ययोजना में शामिल किया गया है ताकि हर स्कूल के प्रमुख अपनी जिम्मेदारी निभाना सीख सकें। इसके अलावा राज्य स्तर पर नवाचार इकाई भी बनाई जाएगी जहां नवाचारों को संकलित किया जाएगा। मंडलीय शिक्षा अधिकारी को इसकी जिम्मेदारी सौँपी जाएगी। नवाचार करने वाले शिक्षक मास्टर रिसोर्स पर्सन के रूप में काम करेंगे। 

ओडीओपी पढ़ाया जाएगा ट्रेड के रूप में
ओडओपी के तहत चयनित उत्पाद से संबंधित कौशल स्कूल में पढ़ाया जाएगा। कक्षा 9-10 में दो और कक्षा 11-12 में एक व्यावसायिक ट्रेड पढ़ाना अनिवार्य होगा। 2022-2023 से व्यावसायिक शिक्षा कार्यक्रम सभी स्कूलों में चलाया जाएगा। कक्षा 9 के पाठ्यक्रम में इसे शामिल किया जाएगा। 2024-25 तक 50 फीसदी छात्र-छात्राओं को व्यावसायिक शिक्षा दी जाएगी। पहले चरण में सरकारी स्कूलों में इसे लागू किया जाएगा। 

कॅरिअर काउंसिलिंग से होगी पहचान
हर सत्र में दो से तीन बार कॅरिअर काउंसिलिंग का आयोजन किया जाएगा। इसमें क्षेत्रीय रोजगार संस्थाओं व पीपीपी के आधार पर संस्थाओं को अनुबंधित किया जाएगा। इसमें प्रतिभाशाली बच्चों की पहचान कर चिह्नित कर उनकी रुचि व कौशल क्षमता के आधार पर संबंधित ट्रेड का प्रशिक्षण देने और उचित संस्था के चयन में मार्गदर्शन देगी। प्रतिभाशाली बच्चों की पहचान कर उन्हें अलग से दिग्दर्शन दिया जाएगा। 2022-23 से इसे सभी स्कूलों में लागू किया जाएगा।