मिसाल: नौकरी छोड़ खोली ‘एमबीए तंदूरी चाय’ की दुकान, नामी कंपनी में नौकरी छोड़कर पांच युवाओं को दिया रोजगार

 प्रयागराज : बड़े मुकाम के लिए सधे कदमों के साथ धीरे-धीरे कदम उठाना पड़ता है। इसके लिए साहस और संकल्प की पूंजी चाहिए। रास्ते खुद-ब-खुद बनने लगते हैं। यहीं से शुरुआत होती है अपना भविष्य गढ़ने की।

इसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं चंदौली के डिग्घी गांव निवासी कमलेश राय। लखनऊ के एसआर कॉलेज से मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (एमबीए) की पढ़ाई करने के बाद एक नामी कंपनी से नौकरी छोड़कर अब वह सिविल लाइंस में बिग बाजार के सामने एमबीए तंदूरी चाय के नाम से दुकान संचालित कर रहे हैं।



तीन भाइयों में दूसरे नंबर पर कमलेश ने वाराणसी के सनातन धर्म इंटर कॉलेज से 61 फीसद अंकों के साथ इंटर की पढ़ाई पूरी की। फिर वर्ष 2012 में वाराणसी के हरिश्चंद्र पीजी कॉलेज से 55 फीसद अंकों के साथ बीकॉम कर वर्ष 2016 में लखनऊ के एसआर कॉलेज से एमबीए किया। इसी बीच दो लाख 25 हजार रुपये के सालाना पैकेज पर उनका चयन एक बड़ी कंपनी में हुआ। छह महीने नौकरी करने के बाद उसे छोड़ दिया।

परिवार में दो फौजी

मुंडेरा में छोटे भाई और प}ी के साथ किराए के मकान में रहने वाले कमलेश के पिता संत राय भारतीय सेना में सूबेदार पद से अवकाश प्राप्त हैं। जबकि, बड़े भाई मंगल राय इस वक्त मणिपुर में सेना में जीडी हैं। बहन सरकार शिक्षिका है।