कभी स्पष्टीकरण... कभी रिपोर्ट... कभी कोई आदेश लेकिन नतीजा सिफर। चूना 16 करोड़ रुपये से ज्यादा का लेकिन कार्वाई के नाम पर सिर्फ हीलाहवाली...। मामला माध्यमिक शिक्षा के सहायता प्राप्त स्कूलों में नियम
विरुद्ध तैनात शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की नियुक्ति का है। अवैध नियुक्तिहोने के बाद भी विभाग दो साल से इन्हें वेतन बांट रहा है। वर्ष 2016 में मनमाने तरीके से हुई इन भर्तियों में सरकार ने तत्कालीन डीआईओएस-2 को वर्ष 2017 में निलम्बित भी किया लेकिन इन 103 शिक्षकों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई अभी तक नहीं हो पाई है। लखनऊ के डीआईओएस डॉ मुकेश सिंह ने निदेशक विनय पांडेय को पत्र लिख कर कहा है कि रिकवरी का प्रस्ताव भेजे हुए करीब चार महीने बीत चुके हैं लेकिन नियम विरुद्ध भर्ती शिक्षकों की सेवा समाप्ति से जुड़ा कोई आदेश अभी तक नहीं मिला है।इससे पहले डीआईओएस ने जुलाई में एक पत्र भेज कर शासन को अवगत कराया था कि अब तक इन शिक्षकों को लगभग 16 करोड़ रुपये वेतन के रूप में दिया जा चुका है। छह महीने बीते चुके हैं लिहाजा यह रकम भी बढ़ चुकी है। ऐसे में सरकार इन शिक्षकों को फर्जी पाए जाने पर वेतन की रिकवरी कैसे कर पाएगी ? इन नियुक्तियों में ज्यादातर तत्कालीन डीआईओएस और प्रबंधकों के रिश्तेदारशामिल थे। ये पद मृत थे यानी अस्तित्वमें ही नहीं थे।
-डॉ. दिनेश शर्मा, उप मुख्यमंत्री