उत्तर प्रदेश के सहायता प्राप्त संस्कृत विद्यालयों और संबद्ध प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक भर्ती का इंतजार बढ़ता ही जा रहा है। प्रदेश सरकार ने इन विद्यालयों में भर्ती की जिम्मेदारी चयन बोर्ड को सौंपी थी। बाद में सरकार ने उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के माध्यम से भर्ती करने का निर्णय लिया लेकिन न तो अब तक आयोग अस्तित्व में आ सका है और न ही चयन बोर्ड इन भर्तियों को शुरू कर सका है।
चयन बोर्ड सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में प्रशिक्षित स्नातक (टीजीटी) और प्रवक्ता (पीजीटी) 2020 को ही लेकर उलझा हुआ है। सरकार ने 18 फरवरी 2019 की अधिसूचना के माध्यम से नियमावली में संशोधन करते हुए सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों से संबद्ध प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती का अधिकार प्रबंधतंत्रों से लेकर चयन बोर्ड को दे दिया था।
अपर निदेशक माध्यमिक डॉ. महेन्द्र देव ने सितंबर में प्रदेशभर से संबद्ध प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त पदों का ब्योरा मंगाया था। उसके अनुसार 553 स्कूलों में स्वीकृत 4838 पदों में से शिक्षकों के 1565 पद खाली थे। वहीं दूसरी ओर संस्कृत विद्यालयों में तो स्थिति और खराब है। वर्तमान में प्रदेशभर के कक्षा 6 से 12 तक के 958 स्कूलों में से ऐसे 117 विद्यालय ऐसे हैं जहां एक भी शिक्षक नहीं बचे हैं।
इनमें से 58 सहायता प्राप्त संस्कृत माध्यमिक विद्यालय अध्यापकों के अभाव में बंद हो चुके हैं। 2017 में नई सरकार बनने के बाद संस्कृत विद्यालयों में नियुक्ति की जिम्मेदारी चयन बोर्ड को दी गई थी। शिक्षा विभाग ने 1282 शिक्षकों की नियुक्ति का अधियाचन सालभर पहले ही भेज दिया था लेकिन आज तक भर्ती शुरू नहीं हो सकी है। अकेले प्रयागराज के 42 संस्कृत विद्यालयों में से 14 ऐसे हैं जहां एक भी शिक्षक नहीं हैं। 3 स्कूल चपरासी तो एक क्लर्क के भरोसे खोले जा रहे हैं।