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68500 शिक्षक भर्ती: पूरी होकर भी अधूरी रह गई भर्ती में सुधार की 6 संभावनाएं!

इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश की 68500 शिक्षक भर्ती पूरी होकर भी अधूरी रह गई है। जितने अभ्यर्थी मेरिट लिस्ट में चयनित हुए यानी कटऑफ के सहारे पास होकर सामने आए उन्हें नियुक्ति दे दी गई है। लेकिन, पूरी भर्ती प्रक्रिया धांधली व गड़बड़झाले का शिकार है, इसके ढेरों सबूत सामने आ चुके हैं।
ऐसे में इस भर्ती का क्या होगा? यह यक्ष प्रश्न बन चुका है। इस भर्ती को लेकर सरकार के सामने क्या रास्ते हैं ? इस पर कई संभावनाएं बन चुकी हैं।अभ्यार्थियों के लगातार हो रहे प्रदर्शन से योगी सरकार बैकफुट पर है। फिलहाल आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए सरकार को जल्द से जल्द इस भर्ती को लेकर अपना रुख साफ करना होगा। हालांकि राज्य सरकार के लिए भी इस भर्ती को विवादों से निकाल कर अभ्यर्थियों को संतुष्ट कर पाना लोहे के चने चबाने जैसा है। फिलहाल सरकार और आयोग की लगातार आंतरिक बैठकों में कुछ संभावनाओं पर चर्चा अंतिम दौर पर है। जिनमें 6 संभावनाएं प्रमुख तौर पर सामने आई हैं।
1- शिकायतों की जांच के लिए कमेटी
68500 सहायक अध्यापक भर्ती में लगातार जो शिकायतें सामने आ रही हैं, उनका निस्तारण फिलहाल नहीं हो पा रहा है। यूं कहें कि शिकायतें सामने आ रही हैं, मीडिया में उनको उछाला जा रहा है, कुछ मामले में हाईकोर्ट तक भी जा रहे हैं। लेकिन, यह मामले किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच रहे हैं। यानी शिकायतें सामने आ रही हैं, आरोप भी सामने आ रहे हैं, लेकिन इस पर निस्तारण नहीं हो पा रहा है। क्योंकि सरकार ने यह भर्ती आधिकारिक तौर पर पूरी कर ली है। ऐसे में आरोपों को सिर्फ आरोप की नजर से ही देखा जा रहा है। लेकिन, मौजूदा हालात विरोध को देखते हुए सरकार कि इससे छवि खराब हो रही है। ऐसे में सरकार सिर्फ इन्हें आरोप समझ कर अपना पल्ला नहीं झाड़ा सकती। यह जरूरी है कि शिकायतों की जांच के लिए एक स्वतंत्र कमेटी बनाई जाएगी। इस कमेटी का कार्य यही होगा कि आने वाली शिकायतों का निस्तारण करेगी। क्योंकि बहुत अधिक संख्या में शिकायतें भी हैं। ऐसे में जांच व निस्तारण की प्रक्रिया काफी लंबे समय तक चलने वाली है। वस्तुः इस भर्ती का तत्काल कोई निष्कर्ष निकालना फिलहाल संभव नहीं है।
2 - कापियों का पुनर्मूल्यांकन
उत्तर प्रदेश सरकार ने टीचर भर्ती प्रक्रिया में धांधली की जांच व गड़बड़ी के आरोप की पड़ताल के लिए जांच कमेटी बैठाई है। ऐसे में अगर आरोप सच साबित होते हैं और गड़बड़ी का मामला समझ में आता है, तब भी अभ्यर्थियों को सीधे तौर पर कोई राहत नहीं मिल सकेगी। दरअसल, शासनादेश के तहत यह प्रावधान है कि टीचर भर्ती में कॉपियों का पुनर्मूल्यांकन नहीं किया जा सकेगा। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि भर्ती प्रक्रिया संपन्न होने के बाद दोबारा से अभ्यार्थी के किसी प्रकार कोर्ट में वाद विवाद करने पर भर्ती प्रक्रिया प्रभावित ना हो। लेकिन अब यही शासनादेश सरकार की मुश्किलें बढ़ाएगा। क्योंकि जिस तरह से कापियों में गड़बड़ी के संकेत मिले हैं, ऐसे में कॉपियों का पुनर्मूल्यांकन होना आवश्यक है। परंतु शासनादेश के प्रावधान के चलते कॉपियों का दोबारा मूल्यांकन नहीं हो सकेगा। जिससे अभ्यर्थियों को इस प्रश्न के अनुसार कोई राहत मिलती नजर नहीं आ रही है।
3 - कॉपियों पर दर्ज अंक का लाभ देना
पिछले कुछ दिनों से अभ्यर्थियों को जब परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय इलाहाबाद द्वारा लिखित परीक्षा की स्कैन कॉपी या दी गई, तब एक चीज विशेष तौर पर सामने आई है कि अभ्यर्थियों को नंबर तो दिए गए हैं लेकिन, कॉपी में दिए गए अंकों का जोड़ सही नहीं है। कहीं-कहीं अवार्ड ब्लैंक कर दिए गए हैं। कहीं पर अंकों के कॉलम में कुछ और लिख उठा है। जबकि जहां अंक नहीं लिखे जाने चाहिए वहां अभ्यर्थियों के अंक लिखे हैं। ऐसे में अगर सरकार चाहे तो अभ्यर्थियों को कॉपी पर दर्ज अंक को जोड़कर लाभ दे सकती है। यानी कॉपी में दिए गए अंकों को जोड़ा जाएगा और अवॉर्ड लाइन पर लिखे गए नंबरों को भी मिलान कर उसे अभ्यार्थी के अंकपत्र में जोड़ दिया जाएगा। ऐसे करने पर अभ्यार्थी का कितना नंबर है यह खुद ही स्पष्ट हो जाएगा। हालांकि इस प्रक्रिया में उन अभ्यर्थियों को लाभ नहीं मिलेगा। जिन्होंने अपनी कापी बदल जाने की शिकायत की है। क्योंकि कॉपी में दर्ज नंबर को ही जोड़कर अभ्यर्थियों को लाभ दिया जा सकेगा। लेकिन, जब कापी ही अभ्यार्थी की नहीं होगी तो ऐसे में उन्हें इसका लाभ मिल पाना मुश्किल है।
4 - भर्ती रद्द करना
68500 सहायक अध्यापक भर्ती में गड़बड़ी होने का आरोप लगाकर अभ्यर्थी इस भर्ती परीक्षा को ही रद्द करने की मांग कर रहे हैं। अभ्यर्थियों द्वारा दी जा रही दलीलें और प्रस्तुत किए जा रहे साक्ष्य भी इस दिशा में काफी प्रभावशाली हैं। लेकिन, भर्ती परीक्षा रद्द किया जाना अब संभव नहीं है। क्योंकि सफल अभ्यार्थियों को नियुक्ति दी जा चुकी हैं। वह भी बहुत बड़े पैमाने पर अभ्यर्थियों को नियुक्तियां मिली है। ऐसे में अगर भर्ती परीक्षा रद्द की जाती है तो लगभग पूरे उत्तर प्रदेश में असंतोष फैल जाएगा और इतना ही नहीं पूरे देश में भाजपा सरकार की असफलता का व्यापक पैमाने पर संदेश जाएगा। जिसका असर सौ प्रतिशत आने वाले लोकसभा चुनाव पर भी पड़ेगा। ऐसे में सरकार भर्ती परीक्षा रद्द कर कोई रिस्क नहीं उठाना चाहेगी।
5 - चयनित अयोग्य अभ्यर्थी हटाना
सरकार अगर इस पूरी भर्ती प्रक्रिया में रिजल्ट के सापेक्ष अभ्यर्थियों की शिकायत का निस्तारण करती है, जिसकी संभावना भी अब काफी प्रबल है। तो अयोग्य होने के बावजूद नियुक्ति पाने वाले अभ्यर्थियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। हालांकि अभी ऐसे अभ्यर्थियों के नाम सामने नहीं आए हैं जो अयोग्य हैं और उन्हें नियुक्ति मिली है। लेकिन, जिस तरह से स्कैन कॉपी में यह तथ्य सामने आए हैं कि किसी दूसरे की कॉपी किसी दूसरे के नाम हो गई है। ऐसे में अधिक नंबर पाकर चयनित होने वाले अभ्यर्थियों की संख्या सामने आना तय है। सरकार अगर चाहेगी तो ऐसे चयनित अभ्यर्थियों को हटा सकेगी और शिकायत निस्तारित होने के बाद मेरिट लिस्ट में कटऑफ के तहत अंक पाने वाले अभ्यर्थियों का चयन कर सकेगी।

6 - कटऑफ घटाना
इस भर्ती प्रक्रिया में अभ्यर्थियों की जो सबसे पहले और बड़ी मांग थी वह कटऑफ घटाने की थी। मौजूदा समय में भी अभ्यार्थियों का एक बहुत बड़ा ग्रुप कटऑफ घटाकर रिजल्ट घोषित करने की मांग कर रहा है। इनकी मांग है कि 30- 33% कटऑफ अंकों के साथ अभ्यार्थियों के रिजल्ट जारी किए जाएं। हालांकि सरकार ने तो अभ्यर्थियों की मंशा के अनुरूप ही कार्य किया था और 30- 33% अंकों के सापेक्ष कटऑफ जारी होना था। लेकिन , आखिरी समय में हाईकोर्ट ने सरकार के इस फैसले को सही नहीं माना था और कटऑफ पूर्व भर्तियों की तरह निर्धारित कर दिया गया था। हालांकि सरकार इस मामले में फिर से हाईकोर्ट जाने वाली थी, लेकिन उसी बीच रिजल्ट का विवाद सामने आ गया और यह प्रकरण भी झोले में रख उठा है। सरकार के पास यह ऑप्शन भी मौजूद है। लेकिन, मौजूदा विवाद के बीच इस प्रक्रिया को आगे बढ़ पाना थोड़ा कठिन नजर आ रहा है।

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